महंगाई को काबू में रखने के साथ वित्तीय स्थिरता है जरूरी, RBI ने कहा- अभी खत्म नहीं हुआ काम
रुवार को केंद्रीय बैंक ने 6 से 8 फरवरी के दौरान हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक का विवरण जारी किया। समिति की बैठक में दास ने कहा था कि इस समय मौद्रिक नीति को लेकर सतर्क रहना चाहिए और यह नहीं मानना चाहिए महंगाई के मोर्चे पर हमारा काम खत्म हो गया है। आइए पूरी खबर के बारे में जान लेते हैं।
पीटीआई, नई दिल्ली। आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास के मुताबिक, मुद्रास्फीति को कम करने का आरबीआइ का काम खत्म नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति को लेकर समयपूर्व उठाया गया कोई कदम अब तक हासिल की गई सफलता को प्रभावित कर सकता है।
केंद्रीय बैंक ने कही ये बात
गुरुवार को केंद्रीय बैंक ने 6 से 8 फरवरी के दौरान हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक का विवरण जारी किया। समिति की बैठक में दास ने कहा था कि इस समय मौद्रिक नीति को लेकर सतर्क रहना चाहिए और यह नहीं मानना चाहिए महंगाई के मोर्चे पर हमारा काम खत्म हो गया है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एमपीसी को अपस्फीति के अंतिम स्तर को सफलतापूर्वक पार करने के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए। अपस्फीति मुद्रास्फीति की दर में कमी को संदर्भित करती है। इसका अर्थ है कि कीमतें अभी भी बढ़ रही हैं, लेकिन पहले की तुलना में धीमी गति से।
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महंगाई को काबू में रखने की जरूरत
उन्होंने आगे कहा कि तेज विकास दर को लंबी अवधि तक अगर बनाए रखना है तो महंगाई को काबू में रखने के साथ ही वित्तीय स्थिरता आवश्यक है और मौद्रिक नीति का उद्देश्य चार प्रतिशत मुद्रास्फीति के लक्ष्य को प्राप्त करने पर केंद्रित रहना चाहिए। एमपीसी के छह सदस्यों में से पांच ने रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखने के लिए मतदान किया था।
वहीं एमपीसी के एक अन्य सदस्य जयंत आर वर्मा रेपो रेट को 25 आधार अंक तक कम करने के पक्ष में थे। एमपीसी के मिनट्स के अनुसार आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर और एमपीसी सदस्य माइकल देबब्रत पात्रा ने कहा कि रेपो रेट को तभी कम करना चाहिए जब मुद्रास्फीति काबू में हो या आरबीआइ द्वारा निर्धारित लक्ष्य के करीब हो।