वित्त मंत्रालय ने शुरू की डिमांड ऑर्डर के खिलाफ अपील दायर करने की योजना, GST भरने वालों को मिलेगा लाभ
वित्त मंत्रालय वस्तु एवं सेवा कर (GST) मांग आदेशों के खिलाफ अपील दायर करने के लिए एक माफी योजना लेकर आया है। अब तक जीएसटी कानून एक करदाता को कर अधिकारी द्वारा ऐसा मांग आदेश पारित करने के तीन महीने के भीतर कर मांगने वाले मूल्यांकन आदेश के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति देता था। इसे एक महीने और बढ़ाया जा सकता है।
पीटीआई, नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय वस्तु एवं सेवा कर (GST) मांग आदेशों के खिलाफ अपील दायर करने के लिए एक माफी योजना लेकर आया है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के अनुसार, यह योजना 31 जनवरी, 2024 तक खुली रहेगी।
इसे उन संस्थाओं के लिए उपलब्ध कराया जाएगा, जो 31 मार्च, 2023 को या उससे पहले कर अधिकारी द्वारा जारी आदेशों के खिलाफ अपनी अपील प्रस्तुत करने में असमर्थ थीं। सीबीआईसी ने गुरुवार को इस योजना के संबंध में एक अधिसूचना जारी की है। आइए, पूरी खबर के बारे में जान लेते हैं।
वित्त मंत्रालय ने दी ये जानकारी
अब तक, जीएसटी कानून एक करदाता को कर अधिकारी द्वारा ऐसा मांग आदेश पारित करने के तीन महीने के भीतर कर मांगने वाले मूल्यांकन आदेश के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति देता था। इसे एक महीने और बढ़ाया जा सकता है। 7 अक्टूबर को अपनी पिछली बैठक में जीएसटी परिषद ने अपील दायर करने के लिए इस माफी योजना को मंजूरी दे दी थी।
योजना का लाभ उठाने की इच्छुक संस्थाओं को कर मांग का 12.5 प्रतिशत पहले ही जमा करना होगा, जो वर्तमान में 10 प्रतिशत है। इस कदम से बड़ी संख्या में करदाताओं को सुविधा होगी, जो पूर्व में निर्दिष्ट समय अवधि के भीतर अपील दायर नहीं कर सके थे।
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वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने क्या कहा?
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा कि यह योजना उन लोगों के लिए जीवन रेखा होगी जो प्रशासनिक त्रुटियों या अप्रत्याशित परिस्थितियों के कारण अपील की समय सीमा चूक गए होंगे। ये पहल करदाताओं के बीच बेहतर अनुपालन को भी बढ़ावा दे सकती है।
अपील दायर करने के लिए एक निष्पक्ष और उदार दृष्टिकोण की पेशकश करके, ये कर अधिकारियों के साथ बेहतर सहयोग और विवादों को सुलझाने या कर मामलों को स्पष्ट करने की इच्छा को प्रोत्साहित करता है।
मोहन ने आगे कहा-
इसके अतिरिक्त, विवादों को अधिक कुशलता से हल करने की अनुमति देकर, योजना कानूनी प्रणाली पर बोझ को कम कर सकती है। इससे अपील प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करके और संभावित रूप से लंबे समय तक मुकदमेबाजी की आवश्यकता को कम करके करदाताओं और कर प्रशासन दोनों को लाभ होता है।
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