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Fitch Rating: फिच ने भारत की सॉवरेन रेटिंग को बीबीबी पर बरकरार रखा

बयान के मुताबिक भारत की रेटिंग को इसके मध्यम अवधि के मजबूत वृद्धि परिदृश्य से समर्थन हासिल है। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत के जीडीपी के हिस्से के साथ इसकी ठोस बाहरी वित्त स्थिति और इसके कर्ज प्रोफाइल के संरचनात्मक पहलुओं में सुधार को आगे बढ़ाएगा। फिच ने कहा कि हाल में राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों की प्राप्ति पारदर्शिता में बढ़ोतरी और राजस्व में उछाल से राजकोषीय विश्वसनीयता बढ़ी है।

By Agency Edited By: Yogesh Singh Updated: Thu, 29 Aug 2024 08:51 PM (IST)
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राजकोषीय आंकड़े भारत के ऋण परिश्य की कमजोरी बने हुए हैं।
पीटीआई, नई दिल्ली। वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने गुरुवार को भारत की साख को स्थिर परिदृश्य के साथ बीबीबी पर बरकरार रखा है। इस तरह भारत की रेटिंग सबसे कम निवेश स्तर बीबीबी पर बनी हुई है। यह अगस्त, 2006 के बाद की सबसे कम निवेश रेटिंग है। फिच रेटिंग्स ने एक बयान में कहा, रेटिंग एजेंसी ने भारत की दीर्घकालिक विदेशी मुद्रा जारीकर्ता चूक रेटिंग (IDR) को स्थिर परिदृश्य के साथ बीबीबी पर बरकरार रखा है।

बयान के मुताबिक, भारत की रेटिंग को इसके मध्यम अवधि के मजबूत वृद्धि परिदृश्य से समर्थन हासिल है। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के हिस्से के साथ इसकी ठोस बाहरी वित्त स्थिति और इसके कर्ज प्रोफाइल के संरचनात्मक पहलुओं में सुधार को आगे बढ़ाएगा। फिच ने कहा कि हाल ही में राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों की प्राप्ति, पारदर्शिता में बढ़ोतरी और राजस्व में उछाल से राजकोषीय विश्वसनीयता बढ़ी है। इससे इस बात की संभावना बढ़ी है कि मध्यम अवधि में भारत के सरकारी कर्ज में मामूली गिरावट आ सकती है।

इसके बावजूद राजकोषीय आंकड़े भारत के ऋण परिश्य की कमजोरी बने हुए हैं। घाटा, ऋण और ऋण सेवा बोझ 'बीबीबी' श्रेणी के अन्य देशों की तुलना में अधिक हैं। गवर्नेंस इंडिकेटर और प्रति व्यक्ति जीडीपी में कमी भी रेटिंग पर असर डालती है। सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश बना रहेगा भारत फिच रेटिंग्स ने भारत के वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ने वाले देशों में से एक बने रहने की उम्मीदों के बीच कहा, हम वित्त वर्ष 2024-25 में 7.2 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाते हैं।

यह वित्त वर्ष 2023-24 के 8.2 प्रतिशत से थोड़ा कम है। इसमें कहा गया है कि सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में पूंजीगत व्यय विकास का एक प्रमुख चालक बना हुआ है और इसने व्यय की गुणवत्ता में सुधार किया है। इससे राजकोषीय समेकन से होने वाले तनाव को कम करने में मदद मिली है। इसके अलावा रियल एस्टेट में निजी निवेश मजबूत रहने की संभावना है और मैन्यूफैक्चरिंग निवेश में तेजी के संकेत हैं।