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महंगाई का लगेगा झटका! चाय, बिस्कुट और साबुन-तेल जैसी चीजों के बढ़ सकते हैं दाम

साबुन तेल टूथपेस्ट और ग्रोसरी जैसे रोजमर्रा के सामान बनाने वाली FMCG कंपनियों का खाद्य मुद्रास्फीति और उत्पादन लागत बढ़ने से मार्जिन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। इसका असर कंपनियों के दूसरी तिमाही के वित्तीय नतीजों पर भी दिखा है। FMCG कंपनियां पाम ऑयल कॉफी और कोको जैसे प्रोडक्ट का इस्तेमाल कच्चे माल के तौर पर करती हैं। इनका पिछले कुछ दिनों में तेजी से बढ़ा है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Mon, 04 Nov 2024 05:00 PM (IST)
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फएमसीजी सेक्टर की कुल बिक्री में शहरी खपत की हिस्सेदारी 65-68 प्रतिशत रहती है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। हिंदुस्तान यूनिलीवर, गोदरेज, मैरिको और आईटीसी जैसी फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) कंपनियां उपभोक्ताओं को महंगाई का झटका देने वाली हैं। दरअसल, खाद्य मुद्रास्फीति और उत्पादन लागत बढ़ने से साबुन, तेल, टूथपेस्ट और ग्रोसरी जैसे रोजमर्रा के सामान बनाने वाली FMCG कंपनियों का मार्जिन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। इसका असर कंपनियों के दूसरी तिमाही के वित्तीय नतीजों पर भी दिखा है।

अगर कंपनियों के लिए कच्चे माल की लागत का प्रबंधन मुश्किल हो जाएगा तो इससे कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। जहां तक कॉफी और कोको की कीमतों का सवाल है, हम खुद एक मुश्किल स्थिति का सामना कर रहे हैं।

सुरेश नारायणन, चेयरमैन, नेस्ले इंडिया

FMCG कंपनियों की लागत क्यों बढ़ी?

FMCG कंपनियां पाम ऑयल, कॉफी और कोको जैसे प्रोडक्ट का इस्तेमाल कच्चे माल के तौर पर करती हैं। पिछले कुछ दिनों में इन चीजों के दाम में भारी उछाल आई है। इससे कंपनियों की मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट बढ़ गई है, जिसकी भरपाई के लिए कुछ कंपनियां दाम बढ़ाने पर विचार कर रही हैं।

हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL), गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (GCPL), मैरिको, आईटीसी और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (TCPL) ने शहरी खपत में कमी पर चिंता जताई है। एफएमसीजी सेक्टर की कुल बिक्री में शहरी खपत की हिस्सेदारी 65-68 प्रतिशत रहती है।

स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है कि हाल की तिमाहियों या तिमाही में शहरी वृद्धि प्रभावित हुई है। ग्रामीण क्षेत्र में धीमी वृद्धि जारी है और अब पिछली कुछ तिमाहियों से यह शहरी क्षेत्र से आगे है और इस बार भी शहरी क्षेत्र से आगे है।

रोहित जावा, एमडी, एचयूएल

शहरों से ज्यादा गांवों में हो रही खपत

जीसीपीएल के एमडी और सीईओ सुधीर सीतापति ने दूसरी तिमाही के नतीजों की घोषणा पर कहा, 'हमें लगता है कि यह एक अल्पकालिक झटका है और हम विवेकपूर्ण मूल्य वृद्धि और लागत को स्थिर करके मार्जिन को ठीक कर लेंगे।' खास बात यह है कि ग्रामीण बाजार, जो पहले पीछे थे, ने शहरी बाजारों की तुलना में अपनी वृद्धि की रफ्तार को कायम रखा है।

एक अन्य एफएमसीजी कंपनी डाबर इंडिया ने भी कहा कि सितंबर तिमाही में मांग का माहौल चुनौतीपूर्ण था, जिसमें 'उच्च खाद्य मुद्रास्फीति और शहरी मांग में कमी' शामिल थी। कंपनी का सितंबर तिमाही में एकीकृत शुद्ध लाभ 17.65 प्रतिशत कम होकर 417.52 करोड़ रुपये रहा है। इस दौरान कंपनी की परिचालन आय 5.46 प्रतिशत घटकर 3,028.59 करोड़ रुपये रही है।

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