अब महंगाई की होगी छुट्टी! प्याज के बाद सस्ते में साबुत चना और मसूर दाल भी बेचेगी सरकार
केंद्र सरकार ने भारत ब्रांड के तहत सस्ते दाम में साबुत चना और मसूर दालबेचने का फैसला किया है। इससे उम्मीद है कि दालों की कीमतों में नरमी आएगी और त्योहारी सीजन में आम जनता को राहत मिलेगी। भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) और केन्द्रीय भंडार के जरिये साबुत चना 58 रुपये प्रति किलोग्राम और मसूर दाल 89 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा जाएगा।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। पिछले कई महीनों से जनता महंगाई की मार से परेशान है। खासकर, खाद्य महंगाई ने उसके रसोई का बजट बिगाड़ रखा है। आलू, टमाटर और प्याज के साथ दालों के भाव भी काफी बढ़ गए हैं। अब सरकार ने त्योहारी सीजन में महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए 'भारत' ब्रांड के तहत साबुत चना और मसूर दाल भी बेचने का फैसला किया है। वह दिल्ली-एनसीआर जैसी जगहों पर रियायती दामों पर पहले ही प्याज बेच रही है।
केंद्र सरकार ने बुधवार को सब्सिडी वाली दालों के अपने कार्यक्रम के विस्तार का एलान किया। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रल्हाद जोशी का कहना है कि सहकारी नेटवर्क भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ), भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) और केन्द्रीय भंडार के जरिये साबुत चना 58 रुपये प्रति किलोग्राम और मसूर दाल 89 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा जाएगा।
दालों का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद
सरकार ने सहकारी समितियों को तीन लाख टन चना और 68,000 टन मूंग आवंटित किया है। एनसीसीएफ की प्रबंध निदेशक अनीस जोसेफ चंद्रा ने कहा कि वितरण दिल्ली, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से शुरू होगा। 10 दिन के भीतर इसके देशव्यापी विस्तार की योजना है। प्रथम चरण के अंतर्गत वर्तमान दरें गेहूं के आटे के लिए 30 रुपये प्रति किलोग्राम (27.50 रुपये से ऊपर), चावल के लिए 34 रुपये प्रति किलोग्राम (29 रुपये से अधिक), चना दाल के लिए 70 रुपये प्रति किलोग्राम (60 रुपये से ऊपर) हैं।
वहीं मूंग दाल तथा मूंग साबुत की कीमत क्रमश: 107 रुपये प्रति किलोग्राम और 93 रुपये प्रति किलोग्राम है। सरकार प्याज के लिए 35 रुपये प्रति किलोग्राम और टमाटर के लिए 65 रुपये प्रति किलोग्राम की दर बनाए रखने की भी कोशिश कर रही है। केंद्रीय मंत्री ने इस वर्ष दालों के बेहतर उत्पादन की उम्मीद जताई है क्योंकि सरकार ने दालों के समर्थन मूल्य में काफी वृद्धि की है।