मोदी सरकार के 10 साल में चार गुना बढ़ी खाद्य सब्सिडी, मुफ्त राशन के लिए बफर स्टॉक पर बढ़ा खर्च
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव का कहना है कि 2014 से 2024 के दौरान दस वर्ष में खाद्य सब्सिडी में चार गुना की वृद्धि हुई है। 2004 से 2014 के बीच किसानों को सिर्फ पांच लाख 15 हजार करोड़ की खाद्य सब्सिडी दी गई थी जो पिछले एक दशक के दौरान बढ़कर 21 लाख 56 हजार करोड़ हो गई है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। किसानों से फसल खरीद एवं सार्वजनिक जन वितरण के महत्व को समझते हुए केंद्र सरकार ने एफसीआई को वित्तीय रूप से मजबूत बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए एफसीआई में दस हजार 700 करोड़ रुपये की इक्विटी का निवेश किया जाएगा।
देश के 140 करोड़ लोगों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में एफसीआई की महत्वपूर्ण भूमिका है। किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अनाज की खरीद, उसका भंडारण एवं मूल्यों पर नियंत्रण के साथ कल्याणकारी योजना के तहत खाद्यान्नों के वितरण का प्रबंध भी करता है।
केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि खाद्यान्न की खरीद प्रक्रिया में एफसीआई की मुख्य भूमिका है। पिछले एक दशक में खाद्यान्नों की खरीद एवं एमएसपी में बड़ी वृद्धि हुई है। इस निर्णय का उद्देश्य कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना और किसानों का कल्याण सुनिश्चित करना है।
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि अगर हम 2014-2024 के दस वर्ष से एनडीए सरकार के दस वर्ष की तुलना करें तो खाद्य सब्सिडी में चार गुना की वृद्धि हुई है। 2004 से 2014 के बीच किसानों को सिर्फ पांच लाख 15 हजार करोड़ की खाद्य सब्सिडी दी गई थी, जो पिछले एक दशक के दौरान बढ़कर 21 लाख 56 हजार करोड़ हो गया है।
अगले पांच वर्षों तक 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराने में बफर स्टाक की बड़ी भूमिका है। पिछले पांच वर्षों के बफर स्टॉक को देखा जाए तो औसतन 80 हजार करोड़ रुपये का रहा है। इस वर्ष 31 मार्च को 98 हजार करोड़ 230 करोड़ रुपये का स्टाक था। एफसीआई की यात्रा 1964 में मात्र सौ करोड़ रुपये की अधिकृत पूंजी और चार करोड़ रुपये की इक्विटी के साथ शुरू हुई थी।
धीरे-धीरे दक्षता के साथ कृषि क्षेत्र में इसकी जरूरत भी बढ़ती गई, जिसका परिणाम हुआ कि फरवरी 2023 में इसकी अधिकृत पूंजी 11 हजार करोड़ से बढ़कर 21 हजार करोड़ रुपये हो गई। वित्तीय वर्ष 2019-20 में इसकी इक्विटी 4,496 करोड़ रुपये थी, जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 10,157 करोड़ रुपये हो गई। अब केंद्र ने एफसीआई के लिए 10,700 करोड़ रुपये की इक्विटी को मंजूरी दी है, जो इसे आर्थिक रूप से सशक्त करेगी और परिवर्तन की पहलों को बढ़ावा देगी।
इक्विटी का निवेश एफसीआई की परिचालन क्षमता को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इससे वह अपनी जिम्मेवारियों को प्रभावी तरीके से पूरा कर सकता है। फंड की कमी को पूरा करने के लिए एफसीआई को अल्पकालिक उधार का सहारा लेना पड़ता है। इस निवेश से उसे ब्याज का बोझ कम करने में मदद मिलेगी और अंतत: केंद्र सरकार की सब्सिडी में कम होगी।यह भी पढ़ें : भरने वाला है देश का खाद्यान्न भंडार, चावल-मक्का का होगा रिकॉर्ड उत्पादन