Foreign Exchange Reserve: क्या होता है विदेशी मुद्रा भंडार? क्यों इसके गिरते ही थमने लगती है अर्थव्यवस्था
Foreign Exchange Reserves Explained विदेशी मुद्रा भंडार की किसी भी अर्थव्यवस्था में खास अहमियत होती है। इसे आसान भाषा में फॉरेक्स भी कहा जाता है। भारत के पास करीब 560 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है। (जागरण फाइल फोटो)
By Abhinav ShalyaEdited By: Abhinav ShalyaUpdated: Mon, 20 Mar 2023 08:00 PM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई वे संपत्तियां या धनराशि होती हैं, जिसका उपयोग देनदारी को पूरा करने के लिए और मॉनेटरी पॉलिसी को प्रभावित करने के लिए किया जाता है।
विदेशी मुद्रा भंडार में दूसरे देशों के केंद्रीय बैंकों की ओर से जारी की जाने वाली मुद्राओं को शामिल किया जाता है। इसमें मुद्राओं के साथ बॉन्ड, ट्रेजरी बिल, अन्य सरकारी प्रतिभूतियां, सोने के भंडार, विशेष आहरण अधिकार (SDR) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास जमा राशि को भी शामिल किया जाता है। अधिकतर विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे बड़ा भाग अमेरिका डॉलर के रूप में होता है।
कैसे विदेशी मुद्रा भंडार काम करता है?
किसी भी देश के लिए विदेशी मुद्रा भंडार काफी महत्वपूर्ण होता है। इसका प्रयोग देश की देनदारियों को पूरा करने के साथ कई कार्यों में किया जाता है। जैसे जब भी डॉलर के मुकाबले किसी देश की मुद्रा कमजोर होने लगती है, तो वह देश अपनी मुद्रा को संभालने के लिए अपना विदेशी मुद्रा भंडार खर्च करता है।
दुनिया के अधिकतर देश अपना विदेशी मुद्रा भंडार डॉलर में रखना पसंद करते हैं, क्योंकि दुनिया का अधिकतर व्यापार डॉलर में ही होता है। हालांकि, कुछ देश के विदेशी भंडार में सीमित संख्या में ब्रिटिश पाउंड, यूरो और जापानी येन भी होते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार के गिरने से क्या होता है असर?
विदेशी मुद्रा भंडार कम होने का उस देश की अर्थव्यवस्था पर काफी प्रतिकूल असर होता है। इससे उस देश के लिए अपने आयात बिल का भुगतान करना मुश्किल हो जाता है। वहीं, उस देश की मुद्रा में भी दुनिया की अन्य मुद्राओं के मुकाबले तेज गिरावट आती है।