Foreign Investment Policy: ज्यादा उदार बनाई जा सकती देश से बाहर निवेश की नीति, अगले पूर्ण बजट में घोषणा संभव
Foreign Investment Policy जानकारों का कहना है कि अमेरिकी वित्तीय कंपनी के इस फैसले से भारत सरकार को भी देश से बाहर निवेश करने की मौजूदा नीति को और उदारवादी बनाने का आत्मविश्वास मिलेगा। बहुत संभव है कि अगले वर्ष आम चुनाव के बाद जब जुलाई 2024 में पूर्णकालिक बजट पेश किया जाए तब इस बारे में कुछ बड़ी घोषणाएं हो।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विश्व की बेहद प्रतिष्ठित निवेश सलाहकार व निवेश सेवा प्रदाता कंपनी जेपी मार्गन की तरफ से भारत सरकार के बांड्स को अपने इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स में शामिल करने के फैसला अचानक लिया गया फैसला नहीं है। भारत सरकार के प्रतिनिधि संबंधित एजेंसी से इस बारे में पिछले तीन वर्षों से ना सिर्फ बात कर रहे थे, बल्कि वह सारे प्रमाण भी दे रहे थे किस तरह से उनकी नीतियों की वजह से भारत लंबे समय तक सबसे तेज गति से बढ़ती हुई आर्थिकी बनी रहेगी।
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अगले बजट में घोषणा संभव
जानकारों का कहना है कि अमेरिकी वित्तीय कंपनी के इस फैसले से भारत सरकार को भी देश से बाहर निवेश करने की मौजूदा नीति को और उदारवादी बनाने का आत्मविश्वास मिलेगा। बहुत संभव है कि अगले वर्ष आम चुनाव के बाद जब जुलाई, 2024 में पूर्णकालिक बजट पेश किया जाए तब इस बारे में कुछ बड़ी घोषणाएं हो। एक्सिस म्यूचुअल फंड के प्रमुख (फिक्स्ड इनकम) आर सिवाकुमार मानते हैं कि इस फैसले का कई तरह से सकारात्मक असर होगा।
विदेश में निवेश करने की नीति में बदलाव
खास तौर पर विदेश में निवेश करने की नीति में बदलाव होगा। अभी विदेशों में जो भारतीय निवेश है, वह आम तौर पर रिजर्व के तौर पर है और उसका एक बड़ा हिस्सा अमेरिका की प्रतिभूतियों में है जिसमें काफी कम रिटर्न मिलता है। दूसरी तरफ, भारत आने वाले ज्यादातर निवेश इक्विटी में है और इसमें विदेशी निवेशक काफी ज्यादा लाभ कमाते हैं। मोटे तौर पर भारतीय विदेश में कम रिटर्न कमाते हैं, जबकि विदेशी निवेश में भारत में ज्यादा रिटर्न कमाते हैं। विदेशी में भारतीय बांड्स सूचीबद्ध होने से यह अंतर कम होगा।
आईबीआई की नीतियां भी होंगी प्रभावित
असलियत में भारत विदेश से आने वाले निवेश को काफी बढ़ावा देता है, जबकि भारत से बाहर होने वाले निवेश में कई तरह की बाधाएं हैं। अब जेपी मार्गन के फैसले के बाद भारत की नीतियों में बदलाव आने की संभावना जताते हुए वह कहते हैं कि पूंजीगत खाते को (विदेश में निवेश करने की ज्यादा आजादी) ज्यादा उदार बनाने का समय है। जानकार बता रहे हैं कि भारतीय बांड्स को एक बड़े विदेशी बाजार के इंडेक्स में शामिल करने का असर आरबीआई की कुछ दूसरी नीतियों पर भी दिखाई देगा।
मसलन, अगर विदेशी निवेशक भारतीय बांड्स में ज्यादा निवेश करते हैं तो आरबीआई की तरफ से सरकारी प्रतिभूतियों की खुले बाजार में खरीद-बिक्री व्यवस्था (ओएमओ- ओपन मार्केट ऑपरेशन) को भी सीमित करना पड़ सकता है। कई विश्लेषकों ने कहा है कि जून, 2024 से जब भारतीय बांड्स सूचीबद्ध होंगे तो एक वर्ष के भीतर इनमें 25 अरब डॉलर तक का निवेश हो सकता है। कुछ जानकार बताते हैं कि मौजूदा वैश्विक हालात को देखते हुए यह राशि काफी ज्यादा भी हो सकती है। ऐसे में आरबीआइ और वित्त मंत्रालय के भावी कदम निवेश की राशि को देख कर ही तय होंगे।