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पांच महीने के निचले स्तर पर पहुंचा भारत का Forex Reserves, सोने से भंडार में भी आई गिरावट, RBI ने जारी किए आंकड़े

6 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पांच महीनों में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। आरबीआई द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 6 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.166 बिलियन डॉलर गिरकर 584.742 बिलियन डॉलर हो गया। इसके अलावा स्वर्ण भंडार में भी गिरावट देखने को मिली है। पढ़िए क्या है पूरी खबर।

By AgencyEdited By: Gaurav KumarUpdated: Sat, 14 Oct 2023 02:50 PM (IST)
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विदेशी मुद्रा भंडार 2.166 बिलियन अमेरिकी डॉलर घटकर 584.742 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

एजेंसी, नई दिल्ली: भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। 6 अक्टूबर की समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अपने 5 महीने के नीचले स्तर पर पहुंच गया।

आरबीआई द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक 6 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.166 बिलियन अमेरिकी डॉलर घटकर 584.742 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

पहले कितना कम हुआ था भंडार?

6 अक्टूबर से पहले के समीक्षाधीन सप्ताह यानी 29 सितंबर में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 3.794 बिलियन अमेरिकी डॉलर कम होकर 586.908 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया था।

अक्टूबर 2021 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अपने उच्च स्तर पर पहुंच गया था। उस वक्त विदेशी मुद्रा भंडार 645 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। जिसके बाद पिछले साल से वैश्विक विकास के कारण दबाव के बीच आरबीआई ने भारतीय करेंसी रुपये की रक्षा के लिए विदेशी भंडार को खर्च किया था।

फॉरेंन करेंसी एसेट में भी गिरावट

6 अक्टूबर की समीक्षाधीन तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार का मुख्य घटक फॉरेंन करेंसी एसेट 707 मिलियन अमेरिकी डॉलर घटकर 519.529 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

गोल्ड रिजर्व में भी आई कमी

फॉरेंन करेंसी के अलावा भारत के स्वर्ण भंडार में भी कमी देखने को मिली है। आरबीआई ने कहा कि सोने का भंडार 1.425 बिलियन अमेरिकी डॉलर की भारी गिरावट के साथ 42.306 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

क्या होता है विदेशी मुद्रा भंडार?

किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई विदेशी मुद्रा को विदेशी मुद्रा भंडार कहा जाता है। चूंकि सभी विदेशी लेन-देन अमेरिकी डॉलर में होते हैं, इसलिए आयात के वित्तपोषण के लिए देश को विदेशी भंडार पर निर्भर होना पड़ता है।

विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों को ज्यादातर उच्चतम क्रेडिट रेटिंग वाले अंतरराष्ट्रीय उपकरणों में निवेश किया जाता है। अधिक विदेशी भंडार होने से अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का विश्वास बढ़ता है जिसके कारण फॉरेंन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट (एफडीआई) में भी बढ़ोतरी होती है।