भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 2 बिलियन से भी अधिक की बढ़ोतरी: RBI रिपोर्ट
RBI के मुताबिक भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 29 अक्टूबर 2021 तक 1.919 बिलियन तक की बढ़ोतरी हुई है। विदेशी मुद्रा भंडार में यह बढ़ोतरी मुद्रा संपत्ति और सोने के मूल्य में बढ़ोतरी के कारण हुई है और भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 642.019 बिलियन तक पहुंच गया है।
By Abhishek PoddarEdited By: Updated: Sun, 07 Nov 2021 09:17 AM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Reserve Bank Of India(RBI) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में, 29 अक्टूबर 2021 तक लगभग 2 बिलियन तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। विदेशी मुद्रा भंडार में यह बढ़ोतरी मुद्रा संपत्ति और सोने के मूल्य में बढ़ोतरी के कारण हुई है और भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 642.019 बिलियन तक पहुंच गया है।
हालांकि, पिछले महीने 22 अक्टूबर को विदेशी मु्द्रा भंडार में गिरावट भी दर्ज की गई थी। इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 908 मिलियन की कमी आई थी और यह घटकर 640.1 बिलियन का रह गया था। लेकिन, विदेशी मुद्रा भंडार में हालिया हुई बढ़ोतरी के साथ कुल विदेशी मुद्रा भंडार 3 सितंबर को समाप्त होने वाले सप्ताह में 642.453 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर को छूने की दूरी पर है।
शुक्रवार को जारी हुए RBI के आंकड़ों के मुताबिक, समीक्षाधीन सप्ताह के लिए विदेशी मुद्रा संपत्ति जो कि विदेशी मुद्रा भंडार का एक प्रमुख घटक है, उसमें भी वृद्धि देखी गई है। विदेशी मुद्रा संपत्ति में 1.363 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है और यह बढ़कर 578.462 अरब डॉलर का हो चुका है।
इसके अलावा विदेशी मुद्रा संपत्ति में डॉलर के अलावा भी दूसरी करेंसी जैसे कि यूरो, पाउंड और येन जैसी करेंसी की बढ़ोतरी या गिरावट का प्रभाव भी देखा गया है। RBI के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि, समीक्षाधीन सप्ताह में सोने के भंडार का मूल्य 572 मिलियन डॉलर बढ़कर 39.012 बिलियन डॉलर हो गया।
वहीं, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 1.7 करोड़ डॉलर बढ़कर 19.304 अरब डॉलर हो गया। RBI के आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में आईएमएफ के साथ देश की आरक्षित स्थिति 1 मिलियन डॉलर बढ़कर 5.242 बिलियन डॉलर की हो गई है।
आर्थिक मोर्चे पर किसी भी तरह की आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए अधिक मुद्रा भंडार से काफी सहायता मिलती है। इसके अलावा इस मुद्रा भंडार से एक साल के लिए देश के आयात बिल को कवर किया जा सकता है। साथ ही अधिक विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर के मुकाबले रुपए को मजबूत करने में भी सहायता मिलती है।