India GDP Growth : पूर्व CEA ने भारत की आर्थिक तरक्की पर उठाया सवाल, कहा- तीसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े समझ से परे
भारत की तेज आर्थिक तरक्की की दुनियाभर में चर्चा हो रही है। कई प्रतिष्ठित विदेशी ब्रोकरेज ने भारत के जीडीपी ग्रोथ अनुमान को रिवाइज करके बढ़ाया है। लेकिन पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने भारत के जीडीपी ग्रोथ के डेटा पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि भारत के तीसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े समझ से परे हैं और मुझे नहीं पता कि इनका क्या मतलब है।
पीटीआई, नई दिल्ली। पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) अरविंद सुब्रमण्यम ने शुक्रवार को कहा कि भारत के तीसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े पूरी तरह समझ से परे हैं और मुझे नहीं पता कि इनका क्या मतलब है।
मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था उम्मीद से बेहतर 8.4 प्रतिशत रही। पिछले डेढ़ साल के दौरान किसी तिमाही में यह सबसे तेज विकास दर थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने चालू वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही के जीडीपी अनुमान को भी संशोधित कर क्रमश: 7.8 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत से 8.2 प्रतिशत और 8.1 प्रतिशत कर दिया है।
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सुब्रमण्यम ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आंकड़ों पर गौर करें तो मुद्रास्फीति एक से डेढ़ प्रतिशत दिखाई देती है, लेकिन अर्थव्यवस्था में वास्तविक मुद्रास्फीति तीन से पांच प्रतिशत के बीच है। उन्होंने कहा, "अर्थव्यवस्था 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है, लेकिन निजी खपत तीन प्रतिशत है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आंकड़े गलत हैं। यह फैसला दूसरों को करना है।"
सुब्रमण्यम के अनुसार, "आम लोगों में इस बात की चर्चा है कि निवेश के लिए भारत एक बहुत अच्छी जगह है, लेकिन इसमें तेजी से गिरावट आई है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में तेज गिरावट आई है। यदि भारत इतना ही आकर्षक स्थान बन गया है तो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ क्यों नहीं रहा है।"
एक सवाल का जवाब देते हुए पूर्व सीईए ने कहा कि भारतीयों को इस धारणा से बाहर आना चाहिए कि वे एक बहुत बड़ा बाजार हैं। हम कोई बहुत बड़ा बाजार नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्राइवेट इनवेस्टमेंट और कॉर्पोरेट इनवेस्टमेंट भी इस वक्त 2016 के स्तर से कम है।यह भी पढ़ें : बीमा पॉलिसी, बैंक अकाउंट और शेयर मार्केट सबके लिए सिर्फ एक KYC, जानिए कैसे मुमकिन होने वाला है ये