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चार व्यक्तियों को बना सकते हैं बैंक खाते का नॉमिनी, बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन संबंधी विधेयक पेश

सरकार का कहना है कि संशोधन से बैंकिंग ग्राहकों के अधिकारों की रक्षा ज्यादा बेहतर तरीके से की जा सकती है। एक अहम प्रस्तावित संशोधन यह है कि अगर किसी निवेशक का अन्कलेम्ड लाभांश शेयर या बांड्स पर देय ब्याज निवेशक सुरक्षा कोष में हस्तांतरित किया जा चुका है तो उक्त निवेशक को अपनी राशि वापस लेने का हक होगा।

By Jagran News Edited By: Ram Mohan Mishra Updated: Fri, 09 Aug 2024 08:45 PM (IST)
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चार व्यक्तियों को बैंक खाते का नॉमिनी बनाया जा सकेगा।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आने वाले दिनों में देश का हर बैंक ग्राहक अपने बैंक खाते के लिए चार नॉमिनी नामित कर सकता है। एक साथ चार व्यक्तियों को भी बैंक खाते के लिए अपने बाद उत्तराधिकारी घोषित किया जा सकता है या फिर क्रमवार तरीके से भी इनका नाम कानूनी तरीके से दर्ज कराया जा सकता है।

इस संबंध में शुक्रवार को लोकसभा में सरकार की तरफ से पेश बैंकिंग (संशोधन) कानून, 2024 में प्रस्ताव किया गया है। विधेयक वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने पेश किया। इसके जरिए बैंकिंग व्यवस्था से जुड़े चार अलग-अलग तरह के कानूनों में संशोधन किया जा रहा है।

बेहतर तरीके से हो सकेगी ग्राहकों के हितों की रक्षा

सरकार का कहना है कि संशोधन से बैंकिंग ग्राहकों के अधिकारों की रक्षा ज्यादा बेहतर तरीके से की जा सकेगी। एक अहम प्रस्तावित संशोधन यह है कि अगर किसी निवेशक का अन्कलेम्ड लाभांश, शेयर या बांड्स पर देय ब्याज निवेशक सुरक्षा कोष में हस्तांतरित किया जा चुका है तो उक्त निवेशक को अपनी राशि वापस लेने का हक होगा।

कई बार निवेशकों को पता नहीं चलता है और पुराने निवेशित राशि बैंक खाता संचालित नहीं होने की वजह से निवेशक शिक्षा व सुरक्षा कोष (आइईएसएफ) में डाल दिया जाता है। एक बार उक्त फंड में पैसा जाने के बाद उससे निकालने की व्यवस्था नहीं थी जिसकी राह अब खोल दी जाएगी।

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सहकारी बैंकों के काम काज को बेहतर करने के लिए हैं कुछ संशोधन

सरकार की तरफ संशोधन विधेयक के प्रस्तावना में कहा गया है कि विगत कुछ वर्षों में देश के बैंकिंग सेक्टर में कई तरह के बदलाव हुए हैं और उनके हिसाब से कदम उठाते हुए संशोधन के प्रस्ताव किये जा रहे हैं। कुछ संशोधन सहकारी बैंकों के काम काज को बेहतर करने के उद्देश्य से किये जा रहे हैं।

मसलन, सहकारी बैंकों के निदेशकों के कार्यकाल की सीमा 8 वर्ष से बढ़ा कर 10 वर्ष किया जा रहा है। इसमें पूर्णकालिक निदेशक या चेयरमैन को शामिल नहीं किया गया है। अन्य वाणिज्यिक बैंकों के लिए यह व्यवस्था पहले ही की जा चुकी है।

इसी तरह से केंद्रीय सहकारी बैंकों के निदेशक पद पर कार्यरत व्यक्तियों को साथ-साथ राज्यों के सहकारी बैंकों के निदेशक के तौर पर भी काम करने की इजाजत देने का प्रस्ताव है। सभी बैंकों के लिए एक व्यवस्था यह की जा रही है कि अब उन्हें हर पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार को नहीं बल्कि पखवाड़े के अंतिम दिन वैधानिक रिपोर्ट भेजनी होगी।

विपक्ष ने किया विधेयक का विरोध

कांग्रेसी सांसद मनीष तिवारी, टीएमसी सांसद सौगत राय व कुछ दूसरे विपक्षी सांसदों ने प्रस्तावित संशोधन विधेयक का यह कहते हुए विरोध किया कि सरकार इनके जरिए सहकारी बैंकों में अपना हस्तक्षेप बढ़ाने की मंशा रखती है।

राय ने यह कहा कि इन छोटे-मोटे बदलाव के लिए संसद में विधेयक पेश करने की जरूरत ही नहीं थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इनका जबाव देते हुए सरकार की मंशा सहकारी बैंकों में हस्तक्षेप की नहीं बल्कि उनके काम काज को बेहतर बनाने और बैंकों को ज्यादा आजादी देने की है।

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