FPI Inflow पिछले महीने विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार में कम निवेश किया है। इसके बाद यह 4 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है। इसकी वजह कच्चे तेल की बढ़ती कीमत और महंगाई दर को माना जा रहा है। पिछले महीने अगस्त में विदेशी निवेशकों ने कुल 12262 करोड़ रुपये का ही निवेश किया है। (जागरण फाइल फोटो)
By AgencyEdited By: Priyanka KumariUpdated: Sun, 03 Sep 2023 12:02 PM (IST)
नई दिल्ली,एजेंसी। वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और महंगाई के बढ़ जाने की वजह से विदेशी निवेशकों द्वारा बिकवाली जारी है। ऐसे में पिछले महीने अगस्त में विदेशी निवेश की गति धीमी हो गई है। ऐसे में निवेश चार महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई है। अगस्त में 12,262 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च, हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा
एफपीआई पूर्ण यू-टर्न लेने के बजाय ' Wait & Watch' रणनीति अपना रही है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बनी हुई है इससे एफपीआई से प्रवाह अस्थिर हो जाएगा। अगस्त में एफपीआई निवेश में मंदी के लिए कच्चे तेल की ऊंची कीमतों और मुद्रास्फीति के जोखिमों के फिर से उभरने के साथ वैश्विक व्यापक आर्थिक मोर्चे पर चिंताओं को जिम्मेदार ठहराया।
इसके आगे उन्होंने कहा कि इसके अलावा, अमेरिका में बांड पैदावार में मजबूती से कुछ विदेशी निवेशक अधिक निश्चितता और अमेरिकी कोषागारों द्वारा पेश किए गए बेहतर रिस्क-रिवॉर्ड प्रोफाइल के पक्ष में जोखिम भरे बाजारों से दूर चले गए होंगे। भारतीय इक्विटी बाजारों में रुक-रुक कर हो रही तेजी के कारण इसका मूल्यांकन कुछ निवेशकों के आरामदायक स्तर से ऊपर जा सकता है।
डिपॉजिटरी के आंकड़े
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने अगस्त में भारतीय इक्विटी में शुद्ध रूप से 12,262 करोड़ रुपये का निवेश किया। इस आंकड़े में प्राथमिक बाजार और थोक सौदों के माध्यम से निवेश शामिल है।
यह पिछले चार महीनों में सबसे कम निवेश है। इस निवेश से पहले एफपीआई ने पिछले तीन महीनों में भारतीय इक्विटी में 40,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया था।एफपीआई द्वारा शुद्ध प्रवाह जुलाई में 46,618 करोड़ रुपये, जून में 47,148 करोड़ रुपये और मई में 43,838 करोड़ रुपये था। डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि इससे पहले, अप्रैल में निवेश राशि 11,631 करोड़ रुपये और मार्च में 7,935 करोड़ रुपये थी।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा
अगस्त में एफपीआई ज्यादातर उभरते बाजारों में बिकवाल रहे हैं। इसका मुख्य कारण डॉलर में बढ़ोतरी और बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी की दोहरी मार है। वित्तीय क्षेत्र में मुनाफावसूली ने भी एफपीआई की बिक्री में योगदान दिया।
डेट मार्केट में निवेश जारी
इक्विटी के अलावा
एफपीआई ने पिछले महीने देश के डेट मार्केट में 7,732 करोड़ रुपये का निवेश किया।इसके साथ ही इस साल अब तक इक्विटी में एफपीआई का कुल निवेश 1.35 लाख करोड़ रुपये और डेट मार्केट में 28,200 करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है। एफपीआई लगातार पूंजीगत सामान खरीद रहे हैं। इसके अलावा वह स्वास्थ्य सेवा में भी खरीदार रहे हैं।