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विदेशी निवेशकों ने मई में शेयरों से 25,586 करोड़ निकाले, इसकी बड़ी वजह बना चीन

आम चुनाव के नतीजों को लेकर अनिश्चितता और चीन के बाजारों के बेहतर प्रदर्शन के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने मई में भारतीय शेयरों से 25586 करोड़ रुपये की भारी निकासी की है। यह मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि में बदलाव और अमेरिकी बांड प्रतिफल में निरंतर वृद्धि की चिंताओं के कारण अप्रैल के 8700 करोड़ से अधिक के शुद्ध निकासी के आंकड़े से कहीं अधिक है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Sun, 02 Jun 2024 11:30 PM (IST)
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एफपीआई ने मार्च में शेयरों में 35,098 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था।

पीटीआई, नई दिल्ली। आम चुनाव के नतीजों को लेकर अनिश्चितता और चीन के बाजारों के बेहतर प्रदर्शन के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने मई में भारतीय शेयरों से 25,586 करोड़ रुपये की भारी निकासी की है। यह मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि में बदलाव और अमेरिकी बांड प्रतिफल में निरंतर वृद्धि की चिंताओं के कारण अप्रैल के 8,700 करोड़ रुपये से अधिक के शुद्ध निकासी के आंकड़े से कहीं अधिक है।

कितना निवेश-निकासी?

इससे पहले एफपीआई ने मार्च में शेयरों में 35,098 करोड़ रुपये और फरवरी में 1,539 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था। वहीं जनवरी में उन्होंने शेयरों से 25,743 करोड़ रुपये की निकासी की थी। समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने ऋण या बांड बाजार में 8,761 करोड़ रुपये डाले हैं।

इससे पहले विदेशी निवेशकों ने मार्च में बांड बाजार में 13,602 करोड़ रुपये, फरवरी में 22,419 करोड़ रुपये और जनवरी में 19,836 करोड़ रुपये का निवेश किया था। कुल मिलाकर 2024 में एफपीआई अब तक शेयरों से 23,364 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं। इस दौरान उन्होंने बांड बाजार में 53,669 करोड़ रुपये डाले हैं।

क्या है एक्सपर्ट की राय?

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार विजयकुमार ने कहा कि मध्यम अवधि में अमेरिकी ब्याज दरें एफपीआई प्रवाह पर अधिक प्रभाव डालेंगी। आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने मई में शेयरों से शुद्ध रूप से 25,586 करोड़ रुपये निकाले हैं।

वाटरफील्ड एडवाइजर्स के निदेशक-सूचीबद्ध निवेश विपुल भोवर ने कहा, 'अपेक्षाकृत ऊंचे मूल्यांकन और विशेष रूप से वित्तीय और आइटी कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों के साथ राजनीतिक अनिश्चिता की वजह से एफपीआई भारतीय शेयरों से निकासी कर रहे हैं। इसके अलावा चीन के बाजारों के प्रति एफपीआई के आकर्षण की वजह से भी भारतीय शेयरों से पैसा निकाल रहे हैं।'

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