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मशहूर इकोनॉमिस्ट ने की विरासत टैक्स की वकालत, कहा- इसी से भारत में दूर होगा अमीरों और गरीबों के बीच फासला

भारत में पिछले दिनों ने विरासत टैक्स का मुद्दा काफी जोरशोर से उठा। इस पर काफी सियासत भी हुई। अब मशहूर फ्रांसीसी इकोनॉमिस्ट थॉमस पिकेटी (Thomas Piketty) ने इस मुद्दे को एक बार फिर हवा दी है। उन्होंने अपने एक रिसर्च पेपर में सुझाव दिया है कि भारत को 10 करोड़ रुपये से अधिक की शुद्ध संपत्ति पर 2 फीसदी सालाना टैक्स और 33 फीसदी विरासत टैक्स लगाना चाहिए।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Fri, 24 May 2024 07:15 PM (IST)
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नए टैक्स से सरकार बड़े आराम से शिक्षा पर अपने खर्च को करीब दोगुना कर सकेगी।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारत में पिछले दिनों ने विरासत टैक्स का मुद्दा काफी जोरशोर से उठा। इस पर काफी सियासत भी हुई। अब मशहूर फ्रांसीसी इकोनॉमिस्ट थॉमस पिकेटी (Thomas Piketty) ने इस मुद्दे को एक बार फिर हवा दी है। उन्होंने अपने एक रिसर्च पेपर में सुझाव दिया है कि भारत को 10 करोड़ रुपये से अधिक की शुद्ध संपत्ति पर 2 फीसदी सालाना टैक्स और 33 फीसदी विरासत टैक्स (inheritance tax) लगाना चाहिए। इससे देश को बढ़ती आर्थिक असमानता दूर करने में मदद मिलेगी।

क्या है पिकेटी के रिसर्च पेपर में

पिकेटी ने अपने रिसर्च पेपर 'प्रपोजल्स फऑर ए वेल्थ टैक्स पैकेज टु टैकल एक्स्ट्रीम इनइक्वलिटीज इन इंडिया' अमीर और गरीब के बीच के अंतर को कम करने के लिए कई सुझाव दिए हैं। उनका कहना है कि नए टैक्स प्रावधान से आर्थिक असमानता तो दूर होगी ही, सरकार को सामाजिक क्षेत्र में निवेश के लिए धन भी मिलेगा।

पिकेटी अपने रिसर्च पेपर में कहते हैं, 'अगर सरकार 10 करोड़ से अधिक संपत्ति वाले पर 2 फीसदी सालाना टैक्स और 33 फीसदी विरासत टैक्स लगाती है, तो इसका 99.96 फीसदी वयस्क आबादी पर कोई असर नहीं होगा। साथ ही, इससे सरकार की तिजोरी भी भर जाएगी। उसके राजस्व में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2.73 फीसदी बढ़ जाएगा। इससे सरकार को मौका मिलेगा कि वह गरीब और मध्यम वर्ग के बेहतर नीतियां तैयार कर सके।'

शिक्षा पर खर्च हो सकेगा दोगुना

पिकेटी नई नीतियों का उदाहरण भी देते हैं। उनका कहना है कि नए टैक्स से सरकार बड़े आराम से शिक्षा पर अपने खर्च को करीब दोगुना कर सकेगी। यह पिछले 15 साल से जीडीपी के करीब 3 फीसदी पर स्थिर है। यह 6 फीसदी लक्ष्य से काफी कम है, जिसे सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में में तय किया था।

इस रिसर्च पेपर को थॉमस पिकेटी (पेरिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब), लुकास चांसल (हार्वर्ड कैनेडी स्कूल एंड वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब) और नितिन कुमार भारती (न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी और वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब) ने लिखा है।

इनके पेपर के मुताबिक, भारत में आर्थिक असमानता फिलहाल रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। इसका सामाजिक अन्याय के साथ गहरा संबंध है, इसलिए इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उनका कहना है कि भारत में शीर्ष 1 फीसदी अमीरों के पास हद से ज्यादा पैसे और संपत्ति है। भारत यहां आर्थिक असमानता के मामले में दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और अमेरिका जैसे देशों को भी पीछे छोड़ देता है।

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