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भारत-यूएई के बीच FTA से घरेलू उद्योगों को होगा नुकसान? GTRI ने जताई आशंका

GTRI के अनुसार इस समझौते में अगले कुछ वर्षों में भारत में शुल्क मुक्त सोना चांदी प्लेटिनम और हीरे के असीमित आयात का प्रविधान है और इससे घरेलू उद्योग को नुकसान होगा। GTRI का दावा है कि समझौते में मूल नियमों का दुरुपयोग होने की आशंका है। इस कारण भारत को सीईपीए की समीक्षा करनी चाहिए। समझौते के तहत शुल्क रियायतें पाने के लिए नियमों को पूरा करना अनिवार्य है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Fri, 16 Aug 2024 07:03 PM (IST)
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भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने 18 फरवरी 2022 को FTA पर हस्ताक्षर किए थे।
पीटीआई, नई दिल्ली। आर्थिक थिंक टैंक- ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) का कहना है कि सरकार को यूएई के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) में प्लेटिनम, चांदी, हीरे, सोने के आभूषणों पर शुल्क कटौती की रियायत को वापस ले लेना चाहिए।

भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने 18 फरवरी 2022 को FTA पर हस्ताक्षर किए थे। इसे आधिकारिक तौर पर व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए) कहा जाता है और यह एक मई 2022 को लागू किया गया। सरकार अब यूएई के साथ मुक्त व्यापार समझौते के कुछ प्रविधानों की समीक्षा पर विचार कर रही है।

घरेलू उद्योग को नुकसान होने की आशंका

GTRI के अनुसार, इस समझौते में अगले कुछ वर्षों में भारत में शुल्क मुक्त सोना, चांदी, प्लेटिनम और हीरे के असीमित आयात का प्रविधान है और इससे घरेलू उद्योग को नुकसान होगा। GTRI का दावा है कि समझौते में मूल नियमों का दुरुपयोग होने की आशंका है। इस कारण भारत को सीईपीए की समीक्षा करनी चाहिए। समझौते के तहत शुल्क रियायतें पाने के लिए इन नियमों को पूरा करना अनिवार्य है।

नियमों को सख्त करने की भी वकालत

GTRI ने सरकार से दुबई के रास्ते रूस से प्रतिबंधित धातुओं के आयात को रोकने तथा दुरुपयोग के कारण गिफ्ट सिटी बुलियन एक्सचेंज को दिए गए विशेषाधिकारों को रद करने का भी सुझाव दिया। समीक्षा का मुख्य मकसद बड़े पैमाने पर बुलियन आयात में कमी लाना तथा दुबई से बुलियन आयात के दुरुपयोग को रोकने के लिए उत्पत्ति के नियमों को कड़ा करना होना चाहिए।

सुझावों पर क्या बोले GTRI के संस्थापक 

GTRI के फाउंडर अजय श्रीवास्तव का कहना है कि भारत ने दुबई से प्लेटिनम की असीमित मात्रा पर शून्य शुल्क पर सहमति जताई है। इसमें शुल्क आज के पांच प्रतिशत से घटकर 2026 तक शून्य हो जाएगा। यह भारत के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है, क्योंकि डब्ल्यूसीओ (विश्व सीमा शुल्क संगठन) वर्गीकरण नियमों के अनुसार केवल दो प्रतिशत प्लेटिनम वाली किसी भी धातु को प्लेटिनम के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।

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