Move to Jagran APP

आर्थिक विकास के भारतीय एजेंडा पर जी-20 की मुहर, गरीब व विकासशील देशों को होगा फायदा

सभी G20 देशों ने भारत के वैश्विक आर्थिक विकास एजेंडे का समर्थन किया। इससे गरीब और विकासशील देशों के आर्थिक विकास में मदद मिलेगी। कोरोना महामारी और उसके बाद रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे विकासशील और गरीब देशों की रिकवरी को ध्यान में रखते हुए भारत ने अपना आर्थिक एजेंडा तय किया है।

By Jagran NewsEdited By: Gaurav KumarUpdated: Sat, 09 Sep 2023 08:50 PM (IST)
Hero Image
विकासशील और गरीब देशों को ध्यान में रखते हुए ही भारत ने अपना आर्थिक एजेंडा तय किया है।
नई दिल्ली, जेएनएन: वैश्विक आर्थिक विकास को लेकर भारत के एजेंडा पर जी-20 के सभी देशों ने अपनी मुहर लगा दी है। इसके साथ ही गरीब व विकासशील देशों के आर्थिक विकास का रास्ता साफ हो गया।

कोरोना महामारी और ठीक उसके बाद रूस-युक्रेन युद्ध की वजह से आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे विकासशील व गरीब देशों को संकट से उबारने को ध्यान में रखते हुए ही भारत ने अपना आर्थिक एजेंडा तय किया था।

क्या है भारत का एजेंडा?

भारत चाहता है कि इन गरीब देशों में भी वित्तीय समावेश हो, सभी लोगों का खाता हो, उन्हें सतत विकास का मौका मिले और उनके यहां भी गरीबी कम हो। इसके लिए भारत ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) के जरिए गरीब व विकासशील देशों में वित्तीय समावेश कार्यक्रम चलाने व ग्रीन टेक्नोलॉजी पैक्ट का एजेंडा तय किया था जिस पर दुनिया के 20 शक्तिशाली देशों ने अपनी रजामंदी दे दी।

साथ ही मल्टीलैटरल डेवलपमेंट बैंक (एमडीबी) के प्रारूप में बदलाव और उसे और मजबूत बनाने पर भी भारत के एजेंडा पर मुहर लगाई गई। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि गरीब व विकासशील देशों को भी उनकी नई जरूरतों के लिए उन्हें एमडीबी से आसानी से कर्ज मिलेंगे।

एमडीबी देगा फंड

वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया कि अगले दस सालों की जरूरतों व चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए एमडीबी में 200 अरब डॉलर का एक कोष तैयार किया जाएगा। मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए इस फंड से कर्ज दिए जाएंगे।

भारत का मानना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से अगर किसी देश में सोलर, हाइड्रोजन या इलेक्टि्रक व्हीकल्स जैसे माध्यम अपनाए जाते हैं तो इससे उनका आर्थिक विकास भी होगा, लेकिन इसके लिए उन्हें फंड की जरूरत होगी जो एमडीबी मुहैया कराएगा।

गरीब देशों के लोगों को दी जाएगी डिजिटल पहचान

आर्थिक विकास के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रा के तहत गरीब देशों के लोगों को डिजिटल पहचान दी जाएगी, उनके बैंक खाते खोले जाएंगे और उन्हें यूपीआई जैसी तेज भुगतान की सुविधा दी जाएगी।

अभी दुनिया में तीन अरब से अधिक लोगों के पास बैंक खाते नहीं है तो चार अरब के पास डिजिटल पहचान नहीं है। भारत डीपीआई के माध्यम से वित्तीय समावेश पर जोर इसलिए दे रहा था क्योंकि इसके माध्यम से छोटे-बड़े सभी को समान रूप से तरक्की करने का मौका मिलता है।

अपनी सहूलियत के हिसाब से सभी देश जलवायु परिवर्तन से लड़ेंगे

जी-20 देशों में इस बात को लेकर भी सहमति बनी कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से लड़ने के लिए देश अपनी सहूलियत वाले मॉडल को अपनाएंगे। उन पर किसी माडल को थोपा नहीं जाएगा।

कई गरीब देश जिन्होंने पहले से वैश्विक एजेंसियों से कर्ज ले रखा है और वे कर्ज नहीं चुका पा रहे है, उन्हें भी राहत दी जाएगी और उन्हें नए कर्ज भी दिए जाएंगे।

भविष्य के शहर के लिए वित्तीय व्यवस्था

जी-20 देश भविष्य के शहर को तैयार करने के लिए उनके आर्थिक मॉडल को लेकर भी सहमत हो गए। एमडीबी व अन्य वैश्विक बैंक शहर को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने में उनकी सहायता करेंगे और शुरू में दुनिया के कुछ शहरों में इस प्रकार का पायलट चलाया जा सकता है।

उद्देश्य यह है कि बड़े शहर अपने विकास और लोगों को उच्चस्तरीय सुविधा मुहैया कराने के लिए किसी सरकार का मोहताज नहीं रहे।

अक्टूबर में तैयार होगा क्रिप्टो का रेगुलेशन

क्रिप्टो करेंसी पर वैश्विक रेगुलेशन को लेकर भी सहमतिभारत शुरू से इस बात पर जोर दे रहा था कि क्रिप्टो को कोई देश अकेला रेगुलेट नहीं कर सकता है। क्योंकि यह टेक्नोलाजी से जुड़ा है।

जी-20 के सभी देश भारत के इस बात से सहमत हो गए हैं और अब वैश्विक स्तर पर इसे रेगुलेट किया जाएगा। इसका फ्रेमवर्क तैयार हो गया है और इस पर अमल को लेकर इस साल अक्टूबर में जी-20 देशों के वित्त मंत्री व केंद्रीय बैंकों के प्रमुखों की बैठक में फैसला किया जाएगा।