Gautam Adani: पहली डील से मिला था 10000 रुपये कमीशन, लेकिन पढ़ाई पूरी न करने का अब भी है मलाल
Gautam Adani 60 वर्षीय अदाणी एक कारोबारी के रूप में जीवन की शुरुआत करने के बाद तेजी से आगे बढे़। बंदरगाहों और कोयला खनन पर केंद्रित उनका साम्राज्य लगातार बढ़ता हुआ हवाई अड्डों डाटा केंद्रों और सीमेंट के साथ-साथ हरित ऊर्जा के क्षेत्र में अपना विस्तार कर रहा है।
By Siddharth PriyadarshiEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Sun, 08 Jan 2023 08:24 PM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। गौतम अदाणी का जीवन जितना दिलचस्प है, उनकी बिजनेस यात्रा उतनी ही रोमांचक। आज उनकी गिनती भारत ही नहीं, दुनिया के सबसे सफल उद्यमियों में होती है। वे इस समय एशिया के सबसे अमीर आदमी हैं। दुनिया के अमीरों की लिस्ट में उनका स्थान तीसरा है। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही वह एलन मस्क को पीछे छोड़कर दुनिया के दूसरे अमीर व्यक्ति बन सकते हैं।
1978 में 16 साल की उम्र में अपनी किस्मत आजमाने के लिए वह मुंबई चले गए। दो तीन साल के भीतर गौतम अदाणी की उद्यमी यात्रा शुरू हो गई। हालांकि, उन्हें अब भी कॉलेज खत्म न करने का पछतावा है। उनका मानना है कि शुरुआती अनुभवों ने उन्हें बुद्धिमान तो बना दिया लेकिन औपचारिक शिक्षा ही ज्ञान का विस्तार करती है।
बनासकंठा से शुरू हुई यात्रा
गुजरात के पालनपुर में विद्या मंदिर ट्रस्ट 75वें समारोह में बोलते हुए अदाणी ने अपनी अभूतपूर्व यात्रा को याद किया। वह यात्रा जिसने उन्हें उनके समूह को दुनिया की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा कंपनी, भारत में सबसे बड़ा हवाई अड्डा और समुद्री बंदरगाह संचालक, देश का सबसे बड़ा एकीकृत ऊर्जा खिलाड़ी और देश का दूसरा सबसे बड़ा सीमेंट बना दिया है।
गुजरात के बनासकांठा की शुष्क और कठिन स्थितियों ने उनके सामाजिक व्यवहार को आकार दिया। बनासकांठा छोड़ने के बाद, अदाणी अहमदाबाद चले गए जहां उन्होंने माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के लिए 4 साल बिताए। उन्होंने आज उन पलों को याद किया। उन्होंने कहा, 'मैं सिर्फ 16 साल का था जब मैंने पढ़ाई छोड़ने और मुंबई जाने का फैसला किया। एक सवाल मुझसे अक्सर पूछा जाता है कि मैं मुंबई क्यों चला गया और अपने परिवार के साथ काम नहीं किया? एक किशोर लड़के की आशावाद और स्वतंत्रता की इच्छा को बांधना मुश्किल है। मुझे बस इतना पता था कि मैं कुछ अलग करना चाहता था और इसे अपने दम पर करना चाहता था।'
पहली डील से 10,000 का कमीशन
गौतम अदाणी गुजरात मेल से मुंबई जाने के लिए सवार हुए। मुंबई में उन्होंने हीरों का व्यापार करना सीखना शुरू किया। हीरे में अपना ब्रोकरेज कारोबार शुरू करने के लिए उन्होंने मूल व्यवसाय को छोड़ दिया। उन्होंने याद करते हुए कहा कि मुझे अभी भी वह दिन याद है, जब मैंने एक जापानी खरीदार के साथ अपना पहला व्यापार किया था। मैंने 10,000 रुपये का कमीशन बनाया था। उन्होंने कहा, 'यह एक उद्यमी के रूप में उनकी यात्रा की शुरुआत थी।'