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India GDP Growth: दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ घटने के आसार, क्या ये चिंता की बात है?

घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा के मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि घटकर 6.5 फीसदी रहने के आसार हैं। हालांकि इक्रा ने एजेंसी ने समूचे वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर का अनुमान सात प्रतिशत पर बरकरार रखा है। यह अनुमान ऐसे समय आया है जब शहरी मांग में कमी जैसे कारणों से वृद्धि में मंदी की चिंताएं सता रही हैं।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Wed, 20 Nov 2024 05:57 PM (IST)
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भारत को अच्छे मानसून का फायदा मिलेगा।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। पिछली कुछ तिमाहियों में भारत ने शानदार जीडीपी ग्रोथ दर्ज की है। लेकिन, जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि घटकर 6.5 प्रतिशत रहने के आसार हैं। घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा ने इसके लिए भारी बारिश और कमजोर कॉरपोरेट प्रदर्शन को जिम्मेदार बताया है।

हालांकि, इक्रा को वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही (अक्टूबर 2024-मार्च 2025) में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद है। इसलिए रेटिंग एजेंसी ने समूचे वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर का अनुमान सात प्रतिशत पर बरकरार रखा है। यह अनुमान और टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब शहरी मांग में कमी जैसे अनेक कारकों के कारण वृद्धि में मंदी की चिंताएं हैं।

RBI का 7.2% ग्रोथ का अनुमान

आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आर्थिक वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो 2023-24 के 8.2 प्रतिशत से कम है। आरबीआई का कहना है कि जीडीपी थोड़ी कम ज्यादा रह सकती है, लेकिन आर्थिक मोर्चे पर चिंता करने की कोई बात नहीं है। दूसरी तिमाही की आर्थिक गतिविधि के आधिकारिक आंकड़े 30 नवंबर को जारी होने की उम्मीद है। पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जीडीपी वृद्धि 6.7 प्रतिशत रही थी।

इक्रा ने कहा कि दूसरी तिमाही में गिरावट भारी बारिश और कमजोर कॉरपोरेट प्रदर्शन जैसे कारकों के कारण होगी। उसने कहा, 'हालांकि सरकारी व्यय और खरीफ की बोआई से सकारात्मक रुझान हैं, लेकिन औद्योगिक क्षेत्र खासकर खनन तथा बिजली में मंदी आने के आसार हैं।'

अच्छे मानसून का मिलेगा फायदा

रेटिंग एजेंसी की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, 'वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में आम चुनाव के बाद पूंजीगत व्यय में वृद्धि के साथ-साथ प्रमुख खरीफ फसलों की बुआई में अच्छी वृद्धि देखी गई। भारी बारिश के कारण कई क्षेत्रों को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, जिससे खनन गतिविधि, बिजली की मांग और खुदरा ग्राहकों की संख्या प्रभावित हुई और व्यापारिक निर्यात में भी कमी आई।'

उन्होंने कहा कि अच्छे मानसून का फायदा आगे मिलेगा तथा खरीफ उत्पादन में वृद्धि तथा जलाशयों के पुन: भरने से ग्रामीण मांग में निरंतर सुधार होने की संभावना है। मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा, 'हम निजी उपभोग पर व्यक्तिगत ऋण वृद्धि में मंदी के प्रभाव के साथ-साथ ¨जस की कीमतों और बाह्य मांग पर भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के प्रभाव पर भी नजर रख रहे हैं।'

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