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छोटे कारोबारियों के लिए बड़ा प्लेटफार्म बना जेम पोर्टल, हजारों करोड़ का हो रहा कारोबार

पीएम नरेन्द्र मोदी की मेक इन इंडिया अवधारणा के तहत सितंबर 2016 में जेम पोर्टल की शुरुआत की गई थी। इसका मकसद था कारोबार में नवाचार के जरिए बुनियादी ढांचे का विकास करना ताकि देश की प्रगति को सहारा मिल सके। पोर्टल में उत्पादों को सूचीबद्ध करने के लिए मेक इन इंडिया की शर्तों को अनिवार्य कर दिया गया है। इससे स्थानीय निर्माताओं को प्राथमिकता देना आसान हो गया है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Fri, 04 Oct 2024 07:35 PM (IST)
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जेम ने अपने लेनदेन शुल्क को एक ही झटके में 96 प्रतिशत तक कम कर दिया है।

अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जेम) ने पिछले आठ वर्षों में मेक इन इंडिया के तहत बाजार के अवसरों को पारदर्शी बनाया है। बिचौलिए प्रणाली को खत्म कर नई तकनीक के जरिए स्टार्टअप एवं छोटे कारोबारियों को बड़ा प्लेटफार्म दिया है। सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के साथ ही महिला उद्यमियों को भी बाजार में मजबूती के साथ आगे बढ़ने का मौका दिया है।

अभी तक साढ़े 26 हजार से ज्यादा स्टार्टअप जेम के माध्यम से 29 हजार करोड़ से ज्यादा का कारोबार कर चुके हैं। सिर्फ वित्त वर्ष 23-24 में जेम पोर्टल पर स्टार्टअप द्वारा 97 हजार से अधिक के आर्डर पूरे किए गए।

2016 में जेम पोर्टल की शुरुआत

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 'मेक इन इंडिया' अवधारणा के तहत सितंबर 2016 में जेम पोर्टल की शुरुआत की गई थी। उद्देश्य था कारोबार में नवाचार के जरिए बुनियादी ढांचे का विकास करना, ताकि देश की प्रगति को सहारा मिल सके। पोर्टल में उत्पादों एवं सेवाओं को सूचिबद्ध करने के लिए मेक इन इंडिया की शर्तों को अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे स्थानीय निर्माताओं की पहचान कर उन्हें प्राथमिकता देना आसान हो गया है।

जेम ने वोकल फोर लोकल स्टोर के जरिए महिला, एससी-एसटी, एमएसएमई, कारीगर, बुनकर, शिल्पकार, स्वयं सहायता समूह, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) और सहकारी समितियों के कारोबारी दायरे का विस्तार किया है।

तेजी से बढ़ रहा जेम पोर्टल

जेम के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजीत बी. चव्हाण ने बताया कि पांच लाख से अधिक के अनुमानित मूल्य वाली बोलियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। महज तीन वर्ष पहले तक जेम पोर्टल पर सरकारी संस्थाओं द्वारा मंगाई गई 39 प्रतिशत बिड ''''मेक इन इंडिया'''' की थी, जो अब बढ़कर (सितंबर 2024 तक) 81 प्रतिशत हो गया।

चव्हाण के मुताबिक लेनदेन शुल्क में कटौती सबके लिए समान अवसर पैदा करने का प्रयास है, ताकि सार्वजनिक खरीद की सहज प्रणाली विकसित की जा सके।

जेम की सामान्य शर्तों के तहत केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों, विभागों एवं सार्वजनिक उपक्रमों में खरीदारी पोर्टल पर निबंधित विक्रेताओं से करने की बाध्यता है। राज्यों से भी आग्रह किया जा रहा है कि जेम पोर्टल की प्रणाली को अपनाएं। घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन के लिए जेम पोर्टल पर मेक इन इंडिया फिल्टर भी उपलब्ध है, ताकि खरीदारों को उत्पादों की जानकारी आसानी से हो सके। लेनदेन शुल्क में भारी कटौती

छोटे उद्यमों को बड़ी राहत

जेम ने छोटे उद्यमों को बड़ी राहत देते हुए अपने लेनदेन शुल्क को एक ही झटके में 96 प्रतिशत तक कम कर दिया है। दस लाख से कम के आर्डर पर कोई शुल्क नहीं है। पहले यह सीमा पांच लाख थी। पिछले वर्ष 97 प्रतिशत लेन-देन पर शून्य शुल्क लगा है।

दस लाख से दस करोड़ तक के आर्डर पर आर्डर मूल्य का मात्र 0.30 प्रतिशत शुल्क ही लगाया जाएगा। पहले 0.45 प्रतिशत लगता था। दस करोड़ रुपये से अधिक के आर्डर पर अधिकतम तीन लाख का शुल्क देना होगा, जो पहले 72.5 लाख था। अधिकतम शुल्क तीन लाख रुपये से ज्यादा नहीं होगा, चाहे आर्डर का आकार कुछ भी हो।

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