भारत में हो सकती है रोजगार की भरमार, IMF की गीता गोपीनाथ ने सुझाया रास्ता
भारत की जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार काफी तेज है लेकिन उस हिसाब से रोजगार के मौके नहीं पैदा हो रहे हैं। IMF की डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर गीता गोपीनाथ का कहना है कि भारत को रोजगार बढ़ाने के लिए स्किल डेवलपमेंट पर अधिक फोकस करने की जरूरत है। भारत इस मामले में अभी अपने समकक्षों से काफी पीछे है। गीता ने एआई से जुड़ी चिंताओं पर भी अपनी राय रखी।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारत समेत दुनियाभर में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। प्रतिष्ठित रेटिंग एजेंसियां और आर्थिक जानकार कई बार इस पर चिंता जता चुके हैं, जो भारत की दमदार जीडीपी ग्रोथ के मुरीद हैं। इनमें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर गीता गोपीनाथ भी शामिल हैं। उनका कहना है कि भारत को अगर रोजगार बढ़ाना है, तो सिर्फ कुछ क्षेत्रों पर फोकस करने की रणनीति छोड़नी होगी। अब रोजगार सृजन के लिए बहुआयामी नजरिया अपनाने की जरूरत है।
NDTV से बातचीत में गीता ने यह भी कहा कि भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से ज्यादा नौकरियां प्रभावित नहीं होगी। उन्होंने दलील दी कि भारत का अधिकांश कार्यबल कृषि क्षेत्र है, जो कि श्रम-प्रधान है। व्हाइट-कॉलर जॉब पर एआई का अधिक असर दिख सकता है।
भारत ने मुख्य विकास दर के मामले में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। यह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है। अगर आप पिछले दशक पर नजर डालें, तो विकास दर औसतन 6.6 प्रतिशत रही है। हालांकि, आर्थिक विकास के अनुपात में रोजगार का सृजन नहीं हुआ। यह चिंता की बात है।
गीता गोपीनाथ, IMF की डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर
कैसे होगा रोजगार का सृजन
गीता गोपीनाथ का कहना है कि सरकार रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा, 'अगर आप व्यापार करने को आसान बनाते हैं, तो इससे रोजागर के मौके बढ़ सकते हैं। गुजरात और तमिलनाडु इसकी मिसाल हैं। व्यापार प्रतिबंधों को हटाना भी काफी अहम भूमिका निभाता है। इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाना भी एक उपाय है, जिस पर सरकार पहले से ही अमल कर रही है।'
लेकिन, ये रोजगार बढ़ाने के तात्कालिक उपाय हैं। मध्यम से लंबी अवधि में रोजगार पैदा करने के लिए सरकार को बहुआयामी नजरिया अपनाना पड़ेगा। गीता गोपीनाथ ने कहा, 'भारत को मानव पूंजी में निवेश अधिक निवेश करने के साथ वर्कफोर्स बढ़ाने की जरूरत है। साथ ही, श्रमिकों के हुनर को तराशने के लिए निवेश करना भी काफी महत्वपूर्ण होगा। भारत इस मामले में अभी अपने समकक्षों से काफी पीछे है।'
जॉब पर एआई का प्रभाव
एआई के प्रभाव के बारे में गीता गोपीनाथ ने कहा कि यह भारत में सिर्फ 10 फीसदी नौकरियों की जगह ला सकती है। उन्होंने कहा कि चूंकि भारत का अधिकांश कार्यबल श्रम-प्रधान कृषि में लगा हुआ है, इसलिए एआई का प्रभाव कम होने वाला है। हमारा अनुमान है कि भारत के 24 प्रतिशत कार्यबल एआई के संपर्क में हैं, जिनमें से 10 प्रतिशत हो ही खतरा है। यह काफी छोटी संख्या है।
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