Recession Effect: आयात में वृद्धि दे रही संकेत लेकिन वैश्विक मंदी का नहीं पड़ेगा भारत पर असर, क्या है इसकी वजह
recession effect economy आयात में भारी वृद्धि बेहद खतरनाक संकेत दे रही है। इसके बावजूद जानकारों का मानना है कि भारत पर वैश्विक मंदी का असर नहीं पड़ेगा। आखिर क्यों मंदी से अछूता रहेगा भारत जानने के लिए पढ़ें दैनिक जागरण की यह रिपोर्ट...
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Thu, 07 Jul 2022 08:21 PM (IST)
राजीव कुमार, नई दिल्ली। गोल्डमैन सेस से लेकर बैंक आफ अमेरिका सिक्योरिटीज तक अगले साल अमेरिका में मंदी आने की आशंका जाहिर कर रहे हैं, लेकिन भारत इससे बेअसर रह सकता है। भारत की आंतरिक मांग काफी मजबूत दिख रही है और आयात में होने वाली भारी बढ़ोतरी इस बात के साफ संकेत दे रही है। मंदी आने पर निर्यात पर थोड़ा फर्क पड़ सकता है, लेकिन कई देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते का लाभ मिलने से निर्यात भी बहुत प्रभावित नहीं होगा।
आयात में बढ़ोतरी दे रही खतरनाक संकेत वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस साल जून माह में गैर पेट्रोलियम उत्पाद के आयात में पिछले साल जून के मुकाबले 36.36 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में गैर पेट्रोलियम पदार्थो के आयात में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 32.18 प्रतिशत का इजाफा रहा। गैर पेट्रोलियम पदार्थों को हटाने के बाद अन्य वस्तुओं के आयात में इतनी बढ़ोतरी घरेलू स्तर पर मजबूत मांग को दर्शाता है।
- मंदी आने पर वस्तुओं की कीमत कम होने से भारत को मिल सकता है फायदा
- अब देश में महंगाई में गिरावट का रुख जारी है, इससे चीजें लोगों के दायरे में रहेंगी
- ब्याज दर बढ़ाने में आरबीआइ का रहेगा नरमी का रुख, बैंक भी करेंगे अनुशरण
- औद्योगिक उत्पादन में पिछले साल मई के मुकाबले 18 प्रतिशत का इजाफा दर्ज
यह है पाजिटिव इफेक्ट
भारत में कोर सेक्टर से लेकर मैन्यूफैक्चरिंग और सेवा सेक्टर में लगातार बढ़ोतरी का रुख है। बिजली की मांग पिछले साल के मुकाबले 55,000 मेगावाट अधिक चल रही है। हवाई जहाज का किराया वर्ष 2019 के मुकाबले दोगुना हो चुका है। मई में आठ प्रमुख औद्योगिक उत्पादन में पिछले साल मई के मुकाबले 18 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया। सेमीकंडक्टर की कमी से प्रभावित आटो की बिक्री भी अब बढ़ रही है।
मंदी आने पर निर्यात हो सकता है प्रभावित
विशेषज्ञों के मुताबिक अमेरिका और कुछ विकसित देशों में मंदी आने पर भारत को फायदा भी हो सकता है। बैंक आफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सब्नविस ने बताया कि भारत में मंदी आने की कोई आशंका नहीं हैं। अगर अमेरिका सहित दूसरे देशों में मंदी आती भी है तो अधिक से अधिक निर्यात प्रभावित हो सकता है। वैश्विक मंदी आने पर विभिन्न वस्तुओं की कीमतें कम होंगी, जिससे भारत की मैन्यूफैक्चरिंग लागत कम होगी।
बैंक अपना सकते हैं नरम रुख अर्थशास्त्री मदन सब्नविस ने बताया कि विभिन्न वस्तुओं की कीमतों में नरमी के रुख से जून की महंगाई दर 6.8 प्रतिशत रह सकती है जबकि मई और अप्रैल में खुदरा महंगाई दर क्रमश: 7.04 और 7.78 प्रतिशत रही। कच्चे तेल में भी गिरावट का रुख है और अगर यह जारी रहा तो आरबीआइ अपनी अगली समीक्षा के दौरान बैंक दर बढ़ाने में नरमी का रुख अपना सकता है और अधिकतम 25 आधार अंक की बढ़ोतरी कर सकता है।
वैश्विक मंदी की संभावना से इन्कार नहीं: आइएमएफइस बीच समाचार एजेंसी रायटर की रिपोर्ट के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की प्रमुख ने बुधवार को कहा कि अप्रैल के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था का परिदृश्य खराब हुआ और अगले साल वैश्विक मंदी की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जार्जीवा ने बताया कि आने वाले हफ्तों में आइएमएफ तीसरी बार वैश्विक आर्थिक विकास दर के अनुमान को कम करेगा।
स्थितियों में काफी बदलाव माना जा रहा है कि आइएमएफ जुलाई के अंत में कैलेंडर वर्ष, 2022 और कैलेंडर वर्ष, 2023 के लिए अपडेट पूर्वानुमान जारी कर सकता है। दुनियाभर में महंगाई बढ़ने, ब्याज दरों में वृद्धि किए जाने और चीन में मंदी का हवाला देते हुए जार्जीवा ने कहा कि अप्रैल में विकास दर के अनुमान जारी करने के बाद से स्थितियों में काफी बदलाव हुआ है।बढ़ गया जोखिम
जब जार्जीवा से यह पूछा गया कि क्या वह वैश्विक मंदी से इन्कार कर सकती हैं तो इस पर उन्होंने कहा कि पहले के मुकाबले जोखिम बढ़ गया है और इसलिए हम इसे खारिज नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हाल के आर्थिक आंकड़ों से पता चलता है कि चीन और रूस सहित कुछ बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में मंदी दिखाई दे रही है। वर्ष, 2023 में मंदी के जोखिम में वृद्धि हुई है।