वैश्विक अनिश्चितता का विकास दर पर असर संभव, अगले वित्त वर्ष के दौरान ब्याज दरों में कमी आने की संभावना
पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में देश ने 7.2 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर हासिल की थी। इस महीन की शुरुआत में आरबीआइ ने आर्थिक विकास दर 6.5 प्रतिशत रहने की बात कही थी। फिक्की और क्रिसिल की ताजा रिपोर्ट नए वैश्विक हालात पर भी नजर बनाए रखने की बात कह रही हैं।खासतौर पर खाड़ी क्षेत्र में जो हालात बने हैं उसका असर क्या होगा इसको लेकर अभी अनिश्चितता है।
By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Mon, 16 Oct 2023 09:16 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वैश्विक अनिश्चितता गहराने के खतरे के बीच देश की दो बड़ी संस्थानों ने चालू वित्त वर्ष के दौरान देश की विकास दर के घटने की आशंका जताई है। इनमें से एक उद्योग संगठन फिक्की ने कारपोरेट, बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में कार्यरत अर्थविदों के बीच सर्वे के आधार पर कहा है कि वर्ष 2023-24 की आर्थिक विकास दर 6.3 प्रतिशत रह सकती है। वहीं क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल का अनुमान है कि विकास दर छह प्रतिशत रहेगी।
विकास दर की रफ्तार पड़ सकती है सुस्त
पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में देश ने 7.2 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर हासिल की थी। इस महीन की शुरुआत में आरबीआइ ने आर्थिक विकास दर 6.5 प्रतिशत रहने की बात कही थी। एक तरह से देखा जाए तो तमाम एजेंसियां यह बता रही हैं कि विकास दर की रफ्तार सुस्त होने वाली है।फिक्की और क्रिसिल की ताजा रिपोर्ट नए वैश्विक हालात पर भी नजर बनाए रखने की बात कह रही हैं। खासतौर पर खाड़ी क्षेत्र में जो हालात बने हैं, उसका असर क्या होगा, इसको लेकर अभी अनिश्चितता है। ऐसे में क्रिसिल का कहना है कि पूरे वर्ष भारत में खुदरा महंगाई की दर औसतन 5.5 प्रतिशत रहेगी।
वैसे पिछले वित्त वर्ष के दौरान दर्ज 7.2 प्रतिशत की महंगाई दर के मुकाबले यह कम होगा, लेकिन आरबीआइ की तरफ से तय लक्ष्य (चार प्रतिशत) से काफी ज्यादा है। फिक्की का सर्वे कहता है कि कच्चे तेल की कीमतों में नई वृद्धि की आशंका पैदा हो गई है।
वैश्विक मंदी का देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा असर
आरबीआइ की तरफ से ब्याज दरों को बढ़ाए जाने की संभावना कम ही है। खास बात यह है कि उक्त दोनों एजेंसियां इस बात पर रजामंद है कि अगले वित्त वर्ष के दौरान ब्याज दरों में कमी भी आ सकती है। क्रिसिल को उम्मीद है कि वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में ब्याज दर में कमी की जा सकती है वहीं फिक्की को वर्ष 2024-25 की पहली दो तिमाहियों के दौरान आरबीआइ की तरफ से ब्याज दरों में कमी किए जाने की उम्मीद नजर आ रही है।
ढुलाई व्यवस्था को किया जाए बेहतर फिक्की ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि महंगाई प्रबंधन के तहत पूरा जोर अब आपूर्ति पक्ष पर दिया जाना चाहिए। हाल ही में यह देखा गया है कि दाल और अनाजों की कीमतों को सरकार ने आपूर्ति बढ़ाकर नियंत्रित किया है। इसके लिए ट्रांसपोर्टेशन पर ध्यान देने की जरूरत है। कई बार नष्ट होने वाले उत्पादों की कीमतों में वृद्धि की वजह से महंगाई दर बेकाबू हो जाती है। ढुलाई व्यवस्था को बेहतर कर इससे निजात पाया जा सकता है।
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घरेलू इकोनमी की बुनियाद मजबूत दोनों एजेंसियों ने कहा है कि भारत की घरेलू इकोनमी के आधारभूत तत्व मजबूत हैं, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि बाहरी तत्वों का इन पर कोई असर ना हो। खास तौर पर वैश्विक मंदी का असर काफी दिखाई दे सकता है। भारत के निर्यात पर इसका असर दिखाई भी देने लगा है। अन्य एजेंसियों का अनुमान आरबीआइ 6.5, विश्व बैंक 6.3 ,एडीबी 6.3, आइएमएफ 6.3, ओईसीडी 6.3 रहेगी।
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