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चावल उत्पादन का टूटेगा रिकॉर्ड! क्या निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटाएगी सरकार?

सामाजिक दायित्व के तहत प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त में राशन दिया जा रहा है। इस जरूरत को पूरा करने के लिए अगस्त 2022 से ही चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। बासमती चावल के निर्यात पर भी अतिरिक्त शुल्क लगा दिया गया है। इस बार बेहतर उत्पादन को देखते हुए निर्यात पर से प्रतिबंध हट सकता है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Mon, 07 Oct 2024 09:09 PM (IST)
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भारत में 75 प्रतिशत धान का उत्पादन खरीफ मौसम (जून-सितंबर) में होता है।
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। मानसून की बारिश ने इस बार धान की अच्छी बुआई कराई है। अभी तक पिछले वर्ष की तुलना में 16.24 लाख हेक्टेयर में अधिक धान की रोपाई हो चुकी है। सामान्य से अधिक वर्षा एवं बुआई के रकबा से माना जा रहा है कि चावल का उत्पादन रिकार्ड स्तर पर जा सकता है।

केंद्र सरकार का अनुमान लगभग 13.80 करोड़ टन चावल उत्पादन का है, जो पिछली बार से करीब 13 लाख टन अधिक है। पिछले वर्ष चावल का उत्पादन 13.67 करोड़ टन था, जो 2022-23 के 1357.55 लाख टन की तुलना में 9.45 लाख टन अधिक था।

क्या निर्यात प्रतिबंध हटाएगी सरकार?

सामाजिक दायित्व के तहत प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त में राशन दिया जा रहा है। इस जरूरत को पूरा करने के लिए अगस्त 2022 से ही चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। बासमती चावल के निर्यात पर भी अतिरिक्त शुल्क लगा दिया गया है। लेकिन, इस बार बेहतर उत्पादन को देखते हुए उम्मीद है कि निर्यात पर से प्रतिबंध हट सकता है।

भारत में 75 प्रतिशत धान का उत्पादन खरीफ मौसम (जून-सितंबर) में होता है। पिछले तीन वर्षों से दक्षिण-पश्चिमी मानसून पर अलनीनो का व्यापक असर देखा जा रहा था। इसके चलते देश में औसत से कम बारिश हो रही थी। कई हिस्से को सूखे का भी सामना करना पड़ रहा था। इसके चलते खरीफ फसलों की बुआई और रोपाई बुरी तरह प्रभावित हो रही थी।

अच्छे मानसून से बढ़ी रोपाई

इस बार अच्छी मानसूनी बारिश ने असिंचित क्षेत्र के एक बड़े हिस्से में भी बुआई को काफी हद तक आसान बना दिया है, जो देश की कुल कृषि भूमि का लगभग 50 प्रतिशत है। इस बार ला-नीना के चलते वर्षा ने रफ्तार पकड़ी है तो खरीफ फसलों की बुआई-रोपाई में भी गति आई है। अभी तक 1065.08 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई-रोपाई हो चुकी है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 20.23 लाख हेक्टेयर ज्यादा है। इसमें भी सबसे ज्यादा चावल के रकबे में वृद्धि देखी जा रही है।

खरीफ फसलों के रकबे में वृद्धि से अत्यधिक उत्पादन एवं खाद्य पदार्थों की महंगाई पर नियंत्रण के साथ ही किसानों की आमदनी में भी वृद्धि की संभावना बढ़ती है। चालू खरीफ मौसम में अभी तक तीन करोड़ 94.28 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई हो चुकी है। यह 4.29 प्रतिशत अधिक है। पिछले वर्ष इस तिथि तक धान की खेती का रकबा तीन करोड़ 78.04 लाख हेक्टेयर था। धान के बिचड़े लगाने का काम 15 अगस्त तक चलता है। कहीं-कहीं यह काम 30 अगस्त तक जारी रहता है।

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