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अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर और राहत

रुपये की कीमत संभलने के बाद अर्थव्यवस्था के दूसरे मोर्चो से भी सरकार को राहत की खबरें मिलने लगी हैं। जुलाई में न सिर्फ कारखानों में उत्पादन का विस्तार हुआ है, बल्कि अगस्त में खुदरा महंगाई की दर में भी कमी का सिलसिला शुरू हुआ है। औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि में जुलाई में मैन्यूफैक्चरिंग और बिजली दोनों क्षेत्रों ने अहम

By Edited By: Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

नई दिल्ली, [जागरण ब्यूरो]। रुपये की कीमत संभलने के बाद अर्थव्यवस्था के दूसरे मोर्चो से भी सरकार को राहत की खबरें मिलने लगी हैं। जुलाई में न सिर्फ कारखानों में उत्पादन का विस्तार हुआ है, बल्कि अगस्त में खुदरा महंगाई की दर में भी कमी का सिलसिला शुरू हुआ है। औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि में जुलाई में मैन्यूफैक्चरिंग और बिजली दोनों क्षेत्रों ने अहम हिस्सेदारी निभाई है।

औद्योगिक उत्पादन के मोर्चे पर अभी हालात भले बहुत संतोषजनक नहीं हुए हैं, मगर जानकार मान रहे हैं कि ताजा आंकड़े अर्थव्यवस्था में बदलाव के संकेत दे रहे हैं। खासतौर पर कैपिटल गुड्स क्षेत्र के उत्पादन में बीते साल के जुलाई महीने के मुकाबले 15.6 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है। कंज्यूमर ड्यूरेबल क्षेत्र को लेकर चिंता अभी बनी हुई है। जुलाई में भी इस क्षेत्र का उत्पादन 9.3 फीसद कम हुआ है।

जुलाई में सुधार के बावजूद चालू वित्ता वर्ष 2013-14 के पहले चार महीने में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर अब भी नकारात्मक बनी हुई है। शुरुआती चार महीनों में औद्योगिक उत्पादन में 0.2 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। बीते साल जुलाई में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की वृद्धि दर शून्य थी, लेकिन इस वर्ष यह तीन फीसद पर पहुंच गई है। इसी तरह बिजली क्षेत्र के उत्पादन में बीते साल जुलाई में 2.8 फीसद का इजाफा हुआ था, वह अब बढ़कर 5.2 फीसद हो गया है। खनन क्षेत्र की स्थिति अभी गंभीर बनी हुई है। इस क्षेत्र का उत्पादन जुलाई 2013 में 2.3 फीसद गिरा है।

खुदरा महंगाई में मामूली कमी

सरकार को महंगाई के मोर्चे पर भी राहत मिली है। अगस्त में खुदरा महंगाई की दर घटकर 9.52 फीसद पर हो गई। जुलाई में यह 9.64 फीसद थी। सब्जियों के दामों में वृद्धि अभी भी बनी हुई है। अगस्त में सब्जियों की महंगाई दर 26.48 फीसद पर रही है। अनाज और अंडा, मांस व मछली उत्पादों की महंगाई दर भी दहाई में बनी हुई है।

रिजर्व बैंक पर घटेगा दबाव

जानकारों का मानना है कि औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि और खुदरा महंगाई की दर में कमी से रिजर्व बैंक पर से दबाव कम होगा। इस महीने की 20 तारीख को अपनी पहली मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करने जा रहे आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन को औद्योगिक उत्पादन और खुदरा महंगाई के ताजा आंकड़े राहत देंगे। यह दीगर है कि अभी ब्याज दरों में फेरबदल की गुंजाइश नहीं है। बावजूद इसके जानकार मानते हैं कि अगर अर्थव्यवस्था में सुधार आगे बना रहता है तो अक्टूबर में मौद्रिक व कर्ज नीति की छमाही समीक्षा के दौरान राजन इस दिशा में कोई कदम उठा सकते हैं।