रिन्यूएबल एनर्जी की बदलेगी दुनिया, सरकारी कंपनियां बना रहीं बड़ा गेम-प्लान
अभी तक भारत के रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में निजी क्षेत्र की धमक थी लेकिन आने वाले दो से तीन वर्षों मे सरकारी क्षेत्री की ऊर्जा कंपनियों का अलग महत्व होगा। उदाहरण के तौर पर ओएनीजीसी महाराष्ट्र गुजरात आंध्र प्रदेश समेत कुछ दूसरे राज्यों में रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट लगाने की कई संभावनाओं की समीक्षा कर रही है। इसमें सौर प्लांट से लेकर हाइब्रिड व छोटे पनबिजली परियोजनाएं भी शामिल है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पिछले दिनों देश की ऊर्जा क्षेत्र की तीन दिग्गज कंपनियां ओएनजीसी, एनटीपीसी और कोल इंडिया (सीआईएल) की तरफ से रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर को लेकर काफी अहम घोषणाएं की गई हैं। नवीकरणीय ऊर्जा सेक्टर के सौर, पवन व दूसरे क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ने के लिए देश की सबसे बड़ी पेट्रोलियम उत्पादक कंपनी ओएनजीसी और सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी ने हाथ मिलाया है।
वहीं, देश की सबसे बड़ी कोयला कंपनी सीआईएल ने अपनी 50वीं स्थापना दिवस मनाते हुए रिन्यूएबल सेक्टर में अपने विस्तार की बात स्वीकार की है। कंपनी वर्ष 2028 तक 5000 मेगावाट की क्षमता सौर ऊर्जा से बनाने की योजना पर काम कर रही है।दरअसल, इन सारी सरकारी कंपनियों की तरफ से की गई घोषणाएं केंद्र सरकार की सोची समझी रणनीति हिस्सा है, जिसमें वह अपनी पारंपरिक ऊर्जा कंपनियों को कालांतर में रिन्यूएबल सेक्टर की बड़ी ऊर्जा कंपनी में तब्दील करना चाहती है।
सरकार के लिए यह काम इसिलए भी जरूरी हो गया है कि भारत में सौर, पवन व दूसरे रिन्यूएबल ऊर्जा क्षमता में काफी इजाफा होने के बावजूद हम वर्ष 2030 के लक्ष्यों से काफी दूर हैं। हाल के महीनों में कई बाहरी एजेंसियों ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में इस बात की आशंका जता चुकी हैं कि अगर कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया तो भारत के लिए वर्ष 2030 तक रिन्यूएबल सेक्टर से पांच लाख मेगावाट क्षमता की बिजली उत्पादन का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा।
एक हफ्ते पहले ही नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में नवीकरणीय उर्जा क्षेत्र में भारत की बिजली उत्पादन क्षमता में 396 फीसद की वृद्धि हुई है। सितंबर, 2024 में यह 2.10 लाख मेगावाट से ज्यादा हो गई है। सौर ऊर्जा की बिजली उत्पादन क्षमता 30 गुणा बढ़ कर 91 हजार मेगावाट के करीब हो गया है। इस हिसाब से अगले छह वर्षों में अतिरिक्त 2.90 लाख मेगावाट क्षमता जोड़नी है। यानी सालाना 50 हजार मेगावाट। जबकि वर्ष 2023-24 में भारत ने सिर्फ 19 हजार क्षमता ही जोड़ने में सफलता हासिल की है।
सूत्रों का कहना है कि अभी तक भारत के रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में निजी क्षेत्र की धमक थी लेकिन आने वाले दो से तीन वर्षों मे सरकारी क्षेत्री की ऊर्जा कंपनियों का अलग महत्व होगा। उदाहरण के तौर पर ओएनीजीसी महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश समेत कुछ दूसरे राज्यों में रिनीवेबल ऊर्जा संयंत्र लगाने की कई संभावनाओं की समीक्षा कर रही है। इसमें सौर प्लांट से लेकर हाइब्रिड व छोटे पनबिजली परियोजनाएं भी शामिल है।
अब कंपनी इसने ओएनजीसी के साथ मिल कर एक संयुक्त उद्यम बनाया है जो सिर्फ रिन्यूएबल सेक्टर में नया निवेश करेगा। इन दोनों के गठबंधन की नजर अयाना रिन्यूएबल पावर पर है। दोनों कंपनियों की बराबर हिस्सेदारी (50:50) वाले संयुक्त उद्यम के गठन का प्रस्ताव सरकार के पास विचारधीन है। जानकार बता रहे हैं कि इस अधिग्रहण के बाद भी यह संयुक्त उद्यम कुछ दूसरी रिन्यूएबल कंपनियों पर नजर रख रही हैं ताकि भविष्य में उनको खरीदा जा सके।
एनटीपीसी ने पहले ही रिन्यूएबल सेक्टर में उतर चुकी है और इसके लिए स्थापित सब्सिडियरकी एनटीपीसी ग्रीन के जरिए यह वर्ष 2032 तक इस सौर, पवन व दूसरे नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों से कुल 62 हजार मेगावाट बिजली क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य ले कर चल रही है।यह भी पढ़ें : Rupee vs Dollar: डॉलर के मुकाबले क्यों कमजोर हुआ रुपया, क्या कर रहा है आरबीआई?