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कृषि क्षेत्र की चुनौतियां कम करने में जुटी सरकार, भूख और कुपोषण सबसे बड़ी समस्या

आइसीएआर के वार्षिक सम्मेलन में बुधवार को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने 22 तरह की फसलों की 24 किस्में जारी की हैं। इनमें धान गेहूं मक्का सावां रागी सरसों सोयाबीन सूरजमुखी चना अरहर मसूर मोठ जूट टमाटर भिंडी चौलाई सेम खीरा मटर आलू मशरूम एवं अमरूद शामिल हैं। आइए पूरी खबर के बारे में जान लेते हैं।

By Jagran News Edited By: Ram Mohan Mishra Updated: Wed, 28 Feb 2024 08:45 PM (IST)
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सरकार कृषि क्षेत्र की चुनौतियां कम करने में जुट गई है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत में कृषि क्षेत्र की चुनौतियों को कम करते हुए पोषण के साथ-साथ आत्मनिर्भरता पर भी जोर दिया जा रहा है। इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) की ओर से नवाचार को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

22 तरह की फसलों की 24 किस्में जारी

आइसीएआर के वार्षिक सम्मेलन में बुधवार को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने 22 तरह की फसलों की 24 किस्में जारी की, जिनमें धान, गेहूं, मक्का, सावां, रागी, सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी, चना, अरहर, मसूर, मोठ, जूट, टमाटर, भिंडी, चौलाई, सेम, खीरा, मटर, आलू, मशरूम एवं अमरूद शामिल हैं।

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अर्जुन मुंडा ने पूर्ववर्ती सरकार पर लगाया आरोप 

बैठक में केंद्रीय मंत्री डा. जितेंद्र सिंह व कैलाश चौधरी, उप्र के पशुपालन एवं डेयरी मंत्री धर्मपाल सिंह, नागालैंड के कृषि मंत्री माथुंग यंथन एवं आइसीएआर के महानिदेशक हिमांशु पाठक भी मौजूद थे। सम्मेलन को संबोधित करते हुए अर्जुन मुंडा ने खेतों में जहर घुलने के लिए पूर्ववर्ती सरकार पर आरोप लगाया और कहा कि खाद्यान्न में आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ मिट्टी की गुणवत्ता का भी ध्यान रखना जरूरी है, जिसपर पूर्ववर्ती सरकार ने ध्यान नहीं दिया।

भूख और कुपोषण बड़ी चुनौती 

उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र की चुनौतियों को कम करने के लिए देश को भूख और कुपोषण से निकालकर स्वस्थ पैदावार एवं प्राकृतिक खेती की ओर ले जाने की दिशा में कई नवाचार किए जा रहे हैं। छोटे किसानों को इन अवसरों का अधिकाधिक लाभ उठाना चाहिए।

कई उपलब्धियों के बावजूद कुछ चुनौतियां हैं, जिनका समाधान तलाशते हुए लक्ष्य की ओर बढ़ना है। हमें जलवायु परिवर्तन से भी निपटना है। इसमें आइसीएआर की बड़ी भूमिका होगी। आइसीएआर ने 2005 से 2014 के दौरान अधिक पैदावार देने वाली 1,225 फसल किस्में जारी की हैं, जबकि 2014 से 2023 के दौरान 2,279 ऐसी किस्में जारी की गई, जो लगभग दोगुना है। सरकार का ध्यान अब पोषण पर है।

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