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सरकार ने बढ़ाई उबले चावल पर लगने वाले शुल्क की आखिरी तारीख, अब इस दिन तक लगेगा टैक्स

सरकार ने उबले हुए चावल पर निर्यात शुल्क पांच महीने से अधिक बढ़ाकर 31 मार्च तक कर दिया है। सरकार ने देश में पर्याप्त स्टॉक बनाए रखने और घरेलू कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए 25 अगस्त से 16 अक्टूबर तक उबले चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया है। सरकार ने पिछले साल सितंबर में टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

By AgencyEdited By: Gaurav KumarUpdated: Sat, 14 Oct 2023 03:52 PM (IST)
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उबले चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया जाता है।

एजेंसी, नई दिल्ली: सरकार ने उबले चावल के निर्यात पर लगने वाले शुल्क को पांच महीने से अधिक बढ़ाकर 31 मार्च तक कर दिया है। सरकार ने देश में पर्याप्त स्टॉक बनाए रखने और घरेलू कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए 25 अगस्त को 16 अक्टूबर तक उबले चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया गया था।

अब कब तक लगेगा निर्यात शुल्क?

वित्त मंत्रालय ने अब निर्यात शुल्क को 31 मार्च, 2024 तक के लिए बढ़ा दिया है। इन प्रतिबंधों के साथ, भारत ने अब गैर-बासमती चावल की सभी किस्मों पर प्रतिबंध लगा दिया है।

आपको बता दें कि देश से निर्यात होने वाले कुल चावल में गैर-बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी लगभग 25 प्रतिशत है।

सरकार ने गैर-बासमति चावल के निर्यात पर लगाया था प्रतिबंध

जुलाई में सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। यह कदम घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और आगामी त्योहारी सीजन के दौरान खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए उठाया गया था।

पिछले साल सितंबर में टूटे हुए चावल के निर्यात पर रोक लगा दी गई थी। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून अवधि में लगभग 15.54 लाख टन गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात किया गया, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह केवल 11.55 लाख टन था।

पिछले साल कितना हुआ था गैर-बासमति का निर्यात

वार्षिक खुदरा या उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति सितंबर में तीन महीने के निचले स्तर 5.02 प्रतिशत पर थी। 2022-23 में भारत का बासमती चावल का कुल निर्यात 45.6 लाख टन जिसकी कीमत 4.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

पिछले वित्त वर्ष में गैर-बासमती का निर्यात 177.9 लाख टन जिसकी कीमत 6.36 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत का चावल उत्पादन 2022-23 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में बढ़कर 135.54 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष में 129.47 मिलियन टन था।