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गेहूं की भी हो रही कालाबाजारी? सरकार ने जमाखोरी रोकने लिए उठाया सख्त कदम

व्यापारी एवं थोक विक्रेताओं के लिए अधिकतम तीन हजार टन खुदरा दुकानों के लिए दस टन एवं बड़ी श्रंखला के खुदरा विक्रय केंद्रों एवं दुकानों के लिए दस टन भंडारण की छूट दी गई है। प्रसंस्करण के काम में लगे कारोबारी बाकी महीनों के लिए अपनी कुल वार्षिक क्षमता का 70 प्रतिशत गेहूं रख सकते हैं। सरकार इस कदम के जरिए गेहूं की कीमतों को स्थिर रखना चाहती है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Mon, 24 Jun 2024 07:14 PM (IST)
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सरकार के मुताबिक, देश में गेहूं की कमी नहीं है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। खाद्य पदार्थों की जमाखोरी पर रोक और महंगाई पर नियंत्रण के लिए प्रभावी उपायों के सिलिसला को आगे बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने दाल के बाद गेहूं पर भी स्टॉक सीमा लगा दी है। यह आदेश सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में तत्काल प्रभाव से अगले वर्ष 31 मार्च तक लागू होगा। स्टॉक सीमा की मात्रा सभी इकाइयों के लिए अलग-अलग निर्धारित की गई है।

कितनी है स्टॉक लिमिट

व्यापारी एवं थोक विक्रेताओं के लिए अधिकतम तीन हजार टन, खुदरा दुकानों के लिए दस टन एवं बड़ी श्रंखला के खुदरा विक्रय केंद्रों एवं दुकानों के लिए दस टन भंडारण की छूट दी गई है। प्रसंस्करण के काम में लगे कारोबारी चालू वित्त वर्ष के बाकी महीनों के लिए अपनी कुल वार्षिक क्षमता का 70 प्रतिशत गेहूं रख सकते हैं। सभी कारोबारियों को खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की पोर्टल पर नियमित रूप से प्रत्येक शुक्रवार को गेहूं भंडारण की जानकारी अपडेट करनी होगी।

केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा एवं उपभोक्ता सचिव निधि खरे ने सोमवार को संयुक्त प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि केंद्र ने यह कदम खाद्य सुरक्षा के प्रबंधन बेईमानी से की जा रही सट्टेबाजी को रोकने के लिए उठाया है। अगर उनके स्टॉक में निर्धारित सीमा से ज्यादा गेहूं है तो उन्हें संबंधित अधिसूचना के जारी होने के 30 दिनों के भीतर निर्धारित स्टॉक सीमा तक लाना होगा।

देश में गेहूं की कमी नहीं

गेहूं की कमी और कीमतों में वृद्धि से इन्कार करते हुए संजीव चोपड़ा ने कहा कि देश में गेहूं की कमी नहीं है। जमाखोरी रोकने के लिए स्टॉक सीमा लगाई गई है। सरकार ने यह फैसला हाल में आई वैसी खबरों के चलते लिया है, जिनमें कहा गया है कि गेहूं समेत अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं।

एक रिपोर्ट आई कि केंद्र सरकार की कल्याणकारी सार्वजनिक वितरण योजना के लिए भी पर्याप्त अनाज नहीं है, जिसके बाद जमाखोरी में वृद्धि होने लगी। संजीव चोपड़ा ने कहा कि अभी गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध नहीं है। साथ ही चीनी के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध की समीक्षा का भी प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि गेहूं की कीमतें स्थिर रहें।

गिरने लगी दाल की कीमतें

केंद्र ने दावा किया कि अरहर और चना की दाल की कीमतों पर लगभग दो सौ रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है। उपभोक्ता मामले की सचिव निधि खरे ने बताया कि जब से अरहर एवं चना दालों पर भंडारण सीमा लगाई गई है, तभी से बाजार में इसका असर दिखने लगा है। दाल की कीमतें नीचे आने लगी हैं।

चना दाल के भाव में 50 से दो सौ रुपये प्रति क्विंटल की कमी देखी जा रही है। इसी तरह काबुली चना का भाव सौ रुपये से तीन सौ रुपये तक गिरा है। अरहर दाल के मूल्य में 50 से दो सौ रुपये प्रति क्विंटल की कमी आई है। खाद्य तेल की कीमतों में वृद्धि की आशंका नहीं है। अच्छी वर्षा के अनुमान समेत कई ऐसे कारक हैं जो मूल्य नियंत्रण में मददगार बन रहे हैं।