फेस्टिव सीजन से पहले खाद्य तेलों के दाम बढ़ने से सरकार नाराज, कंपनियों से मांगा स्पष्टीकरण
पिछले दिनों सरकार ने कच्चे सोयाबीन तेल पाम तेल और सूरजमुखी तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी को शून्य से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया था। हालांकि उसने इंडस्ट्री को निर्देश दिया था कि वे पुराने स्टॉक के खत्म होने तक खाद्य तेलों में इजाफा न करें। फिर भी कंपनियों ने फेस्टिव सीजन से पहले तेलों के दाम बढ़ा दिए जिससे सरकार नाराज है।
पीटीआई, नई दिल्ली। सरकार ने खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में वृद्धि पर कंपनियों से स्पष्टीकरण मांगा है। तेल की खुदरा कीमतों में वृद्धि तब हुई, जब सरकार ने कंपनियों से कहा था कि उनके पास कम शुल्क पर आयात किया गया तेल का पर्याप्त स्टॉक है और ऐसे में उन्हें मूल्य स्थिर रखने की सलाह दी गई थी। 14 सितंबर को केंद्र ने घरेलू तिलहन किसानों का समर्थन करने के लिए विभिन्न खाद्य तेलों के मूल सीमा शुल्क में वृद्धि की थी। इसके बाद 17 सितंबर को खाद्य मंत्रालय ने खुदरा कीमतों में कोई वृद्धि नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिए खाद्य तेल उद्योग निकायों के साथ बैठक की थी।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को कहा, 'इंडस्ट्री को यह स्पष्ट करने और कारण बताने के लिए कहा गया है कि आने वाले त्योहारी सीजन में खुदरा कीमतों को बनाए रखने के सरकार के निर्देशों के बावजूद कीमतों में बढ़ोतरी क्यों हो रही है।' मंत्रालय का दावा है कि कम शुल्क पर आयातित स्टॉक आसानी से 45-50 दिनों तक चल सकता है और इसलिए प्रोसेसिंग कंपनियों को अधिकतम खुदरा कीमतों में वृद्धि से बचना चाहिए।
खाद्य तेलों में मूल्य वृद्धि ऐसी समय हुई जब त्योहारी सीजन करीब है और मांग बढ़ रही है। कच्चे सोयाबीन तेल, कच्चे पाम तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर मूल सीमा शुल्क को शून्य से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे कच्चे तेलों पर प्रभावी शुल्क 27.5 प्रतिशत हो गया है। वहीं रिफाइंड पाम तेल, रिफाइंड सूरजमुखी तेल और रिफाइंड सोयाबीन तेल पर मूल्य सीमा शुल्क को 12.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 32.5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे रिफाइंड तेलों पर प्रभावी शुल्क 35.75 प्रतिशत हो गया है।
बड़ी मात्रा में खाद्य तेलों का आयात करता है भारत
मंगलवार को खाद्य संजीव चोपड़ा ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए साल्वेंट एक्सट्रैक्शन एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए), इंडियन वेजिटेबल आयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईवीपीए) और सोयाबीन आयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (एसओपीए) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की। एक आधिकारिक बयान में कहा गया था, 'प्रमुख खाद्य तेल संघों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई थी कि आयातित खाद्य तेल स्टाक की उपलब्धता तक प्रत्येक तेल का मूल्य शून्य प्रतिशत और 12.5 प्रतिशत मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) के बीच बनाए रखा जाए।'बयान में यह भी कहा गया था कि केंद्र सरकार को यह पता है कि कम शुल्क पर आयातित खाद्य तेलों का करीब 30 लाख टन स्टाक है, जो 45 से 50 दिनों की घरेलू खपत के लिए पर्याप्त है। भारत घरेलू मांग को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में खाद्य तेलों का आयात करता है। आयात पर निर्भरता कुल आवश्यकता का 50 प्रतिशत से अधिक है। भारत मलेशिया और इंडोनेशिया से पाम तेल आयात करता है, जबकि ब्राजील और अर्जेंटीना से सोयाबीन तेल आयात करता है। सूरजमुखी का तेल मुख्य रूप से रूस और यूक्रेन से आता है।
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