हेल्थ इंश्योरेंस को सस्ता करने की तैयारी, अंतरिम बजट में हो सकती है घोषणा
सरकार चाहती है कि हेल्थ इंश्योरेंस सबके पहुंच में हो और इस काम के लिए एक फरवरी को पेश होने वाले अंतरिम बजट में घोषणाएं भी हो सकती है। सरकार आयुष्मान भारत स्कीम के दायरे को बढ़ाया जा सकता है। वहीं स्कीम के तहत इंश्योरेंस राशि की सीमा भी बढ़ाई जा सकती है। स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ इस दिशा में काम किया जा रहा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार चाहती है कि हेल्थ इंश्योरेंस सबके पहुंच में हो और इस काम के लिए एक फरवरी को पेश होने वाले अंतरिम बजट में घोषणाएं भी हो सकती है। आयुष्मान भारत स्कीम के दायरे को बढ़ाया जा सकता है। वहीं स्कीम के तहत इंश्योरेंस राशि की सीमा भी बढ़ाई जा सकती है।
हेल्थकेयर सेक्टर के लिए रेगुलेटर लाने की दिशा में भी कुछ घोषणाएं हो सकती है ताकि इंश्योरेंस प्रोग्राम के तहत अस्पतालों के शुल्क और उनके स्तर में बदलाव लाया जा सके। इस दिशा में वित्त मंत्रालय की तरफ की तरफ से पहल की गई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ इस दिशा में काम किया जा रहा है। आयुष्मान भारत स्कीम के तहत सालाना 2.5 लाख से कम आय वाले परिवार पांच लाख तक का इलाज मुफ्त में करा सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 50 करोड़ लोगों के पास अब आयुष्मान भारत कार्ड नंबर है। लेकिन देश में अब भी 40 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनके पास किसी प्रकार का कोई हेल्थ इंश्योरेंस नहीं है।
हेल्थ इंश्योरेंस लेने की लागत इतनी अधिक होती है कि निम्न आय वर्ग वाले इसे आसानी से नहीं खरीद पाते हैं। निजी इंश्योरेंस कंपनियों से पांच लाख तक का हेल्थ इंश्योरेंस लेने पर सालाना 15-35 हजार रुपए तक की लागत आती है जो इंश्योरेंस लेने वाले की उम्र पर निर्भर करती है।
सूत्रों के मुताबिक सरकार आयुष्मान भारत स्कीम का दायरा बढ़ा सकती है। हो सकता है सालाना पांच लाख तक के आय वाले परिवार को आयुष्मान भारत स्कीम में शामिल कर लिया जाए। इसके लिए आगामी अंतरिम बजट में आयुष्मान भारत के मद में होने वाले आवंटन को बढ़ाया जा सकता है।
सूत्रों के मुताबिक सरकार आयुष्मान भारत के तहत पांच लाख के कवरेज की सीमा भी बढ़ा सकती है। जानकारों का कहना है कि पांच लाख की सीमा को सात-आठ लाख तक करने पर सरकार पर बहुत ही मामूली आर्थिक बोझ पड़ेगा। सरकार की कोशिश है कि हेल्थ सेक्टर रेगुलेटर के जरिए हेल्थ इंश्योरेंस की लागत को कम किया जाए और उसमें एकरूपता लाई जाए।
अभी सभी कंपनियों के हेल्थ इंश्योरेंस की कीमत या प्रीमियम अलग-अलग होती है। 24 घंटे अस्पताल में भर्ती होने पर ही इंश्योरेंस के लाभ नियम पर होगा विचार उपभोक्ता मामले का मंत्रालय हेल्थ इंश्योरेंस का लाभ लेने के लिए कम से कम 24 घंटे अस्पताल में भर्ती रहने के नियम में बदलाव को लेकर वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग से बात करेगा। राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने इस नियम पर सवाल उठाया है।
आम चलन के मुताबिक किसी सर्जरी के लिए हेल्थ इंश्योरेंस का लाभ कंपनियां कम से कम 24 घंटे भर्ती होने के बाद ही देती है। 24 घंटे से कम समय के लिए भर्ती होने पर इंश्योरेंस दावे को खारिज कर दिया जाता है। आयोग का मानना है कि अब टेक्नोलॉजी के विकास से कई सर्जरी में इतने समय तक भर्ती होने की जरूरत नहीं होती है।