सरकारी तेल कंपनियों को हुआ रिकॉर्ड सालाना मुनाफा, पिछले 10 वर्षों में 206 फीसदी बढ़ा प्रॉफिट
पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में सरकारी तेल कंपनियां की वित्तीय स्थिति मजबूत हुई है जिसकी वजह से वह वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में देश की जनता के हितों की रक्षा करने की बेहतर स्थिति में हैं और साथ ही देश की ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने की स्थिति में हैं। दस वर्षों में सरकारी तेल कंपनियों का मुनाफा 206 फीसदी बढ़ा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले वित्त वर्ष 2023-24 की अंतिम तिमाही (जनवरी से मार्च, 2024) में सरकारी तेल कंपनियों का मुनाफा कम हुआ है लेकिन पूरे वित्त वर्ष के दौरान उन्होंने जबरदस्त मुनाफा अर्जित किया है। देश की तीन प्रमुख सरकारी तेल मार्केटिंग कंपनियां आइओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल को गत वर्ष के दौरान हुए शुद्ध मुनााफे में क्रमश: 268 फीसदी, 229 फीसदी और बीपीसीएल को 1160 फीसदी की वृद्धि हुई है।
सरकारी तेल कंपनियां की वित्तीय स्थिति मजबूत
पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में सरकारी तेल कंपनियां की वित्तीय स्थिति मजबूत हुई है जिसकी वजह से वह वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में देश की जनता के हितों की रक्षा करने की बेहतर स्थिति में हैं और साथ ही देश की ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने की स्थिति में हैं।
उक्त अधिकारियों का कहना है कि दस वर्षों में सरकारी तेल कंपनियों (ओएमसी) का मुनाफा 206 फीसदी बढ़ा है। जबकि इनका राजस्व इस दौरान 125 फीसदी बढ़ा है। इंडियन ऑयल (आईओसी) का मुनाफा तो इन दस वर्षों में 515 फीसदी, हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपीसीएल) का 824 फीसदी और भारत पेट्रोलियम का 561 फीसदी बढ़ा है। सरकार की तरफ से इन कंपनियों को ज्यादा निवेश करने को प्रोत्साहित किया जा रहा है।पिछले वित्त वर्ष के दौरान इन्होंने समूचे बजट आवंटन को खर्च किया जबकि इनकी तरफ से कुल निवेश निर्धारित लक्ष्य से भी ज्यादा किया गया। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि मुनाफा ज्यादा होने की वजह से ही जब यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में काफी ज्यादा अस्थिरता आई थी तब भी घरेलू बाजार में पेट्रोल व डीजल की कीमतें बहुत ज्यादा नहीं बढ़ाई गई।
भारत इकलौता देश है जहां 06 अप्रैल, 2022 से लेकर 14 मार्च, 2024 तक पेट्रोल व डीजल की खुदरा कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया जबकि इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 130 डॉलर प्रति बैरल तक गई थी। 14 मार्च, 2024 को तेल कंपनियों ने खुदरा कीमतों में दो रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी। अभी दिल्ली में पेट्रोल 94.72 रुपये प्रति लीटर और डीजल 87.62 रुपये प्रति लीटर है। असलियत में देखा जाए तो वर्ष 2023-24 में सरकारी तेल कंपनियों को हुए बंपर मुनाफे के पीछे एक वजह यहीं है कि उन्होंने लंबे समय तक खुदरा कीमतों को स्थिर रखा।
जबकि इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम हुई हैं। वर्ष 2023-24 में भारत ने अंतरराष्ट्रीय बाजार से औसतन 82.58 डॉलर प्रति बैरल की दर से कच्चे तेल की खरीद की है जबकि इसके एक वर्ष पहले (2022-23) यह दर 93.15 डॉलर प्रति बैरल थी। चूंकि तेल कंपनियों ने अंतिम कीमत अप्रैल, 2022 में ही तय की थी जब कच्चे तेल की कीमत 102.97 डॉलर प्रति बैरल थी।यानी जब क्रूड सस्ता हुआ तब भी उसके हिसाब से खुदरा कीमतें तय नहीं हुई। इससे इनको ज्यादा लाभ मार्जिन मिला। पहले तेल कंपनियों को रोजाना खुदरा कीमत तय करने की छूट थी लेकिन अब वह अपने इस अधिकार का उपयोग नहीं करती।
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