गैस की डिमांड में आने वाली है तूफानी तेजी, सरकारी पेट्रोलियम कंपनियां कर रहीं सप्लाई का बंदोबस्त
दो बड़ी महारत्न कंपनियों ओएनजीसी और आईओसी ने मिलकर मध्य प्रदेश में स्थित हट्टा गैस फील्ड के नजदीक एक कम क्षमता का एलएनजी टर्मिनल लगाने की घोषणा की है। यह देश में अपनी तरह का अनूठा टर्मिनल होगा। एलएनजी टर्मिनल में न सिर्फ गैस के सुरक्षित भंडारण की व्यवस्था होती है बल्कि प्राकृतिक गैस को लिक्विड में बनाने और इसके परिवहन की भी व्यवस्था होती है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार वर्ष 2030 तक देश की इकोनमी में गैस की हिस्सेदारी को मौजूदा 6.3 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करना चाहती है। सरकार के इस लक्ष्य को देखते हुए अब सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों ने देश में छोटे एलएनजी टर्मिनल बनाने का फैसला किया है। इसके तहत दो बड़ी महारत्न कंपनियों ओएनजीसी और आईओसी ने मिलकर मध्य प्रदेश के ¨वध्या बेसिन में स्थित हट्टा गैस फील्ड के नजदीक एक कम क्षमता का एलएनजी टर्मिनल लगाने की घोषणा की है।
यह देश में अपनी तरह का अनूठा टर्मिनल होगा। एलएनजी टर्मिनल में न सिर्फ गैस के सुरक्षित भंडारण की व्यवस्था होती है, बल्कि प्राकृतिक गैस को लिक्विड में बनाने और इसके परिवहन की भी व्यवस्था होती है। दोनों कंपनियों के अधिकारियों ने बताया कि अगले दो दशकों में प्राकृतिक गैस की मांग में काफी ज्यादा वृद्धि की संभावना को देखते हुए सिर्फ विशालकाय एलएनजी टर्मिनल से काम नहीं चलेगा, बल्कि कई जगहों पर हमें छोटे-छोटे टर्मिनल बनाने होंगे।
भारत में अभी सात एलएनजी टर्मिनल हैं। इनमें से तीन (दहेज, हजीरा व मुंद्रा) गुजरात में है जबकि महाराष्ट्र, तमिलनाडु व केरल में एक-एक हैं। ये टर्मिनल अभी अपनी क्षमता का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। इसके बावजूद सरकार भविष्य में गैस की खपत में भारी वृद्धि की संभावना को देखते हुए कई नए एलएनजी टर्मिनल के निर्माण की योजना बना चुकी है। वर्ष 2024 से वर्ष 2030 तक हर साल भारत में गैस की सालाना खपत में चार गुना वृद्धि की संभावना है।
भारत में अभी गैस की खपत 15 करोड़ घन मीटर प्रतिदिन है जिसके वर्ष 2030 तक 60 करोड़ घन मीटर प्रतिदिन होने का अनुमान है। इसका बड़ा हिस्सा आयात करना होगा। यही वजह है कि देश में नए एलएनजी टर्मिनल लगाने को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी वर्ष दो नए एलएनजी टर्मिनल के शुरू हो जाने की संभावना है।