दालों की खरीद गारंटी योजना लाएगी सरकार, मोदी 3.0 में कृषि क्षेत्र की प्राथमिकता होगी दाल में आत्मनिर्भरता
कृषि मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि शीर्ष स्तर पर चर्चा के दौरान बात आई कि 100 दिन के एजेंडे के तहत ऐसी नीति की ओर बढ़ना है जिसके माध्यम से देश में अरहर एवं उड़द दाल की उपज बढ़ाई जा सके। दालों की वर्तमान जरूरतों को पूरा करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं। एक दशक में दलहन की उपज में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। देश में दलहन एवं तेलहन की भारी कमी को देखते हुए खरीद गारंटी योजना लाने पर विचार किया जा रहा है। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राजग की लगातार तीसरी सरकार की कृषि क्षेत्र की प्राथमिकता दाल में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की होगी। देश में दालों की कमी को फिलहाल दो तरीके से दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात का विकल्प तो खुला रहेगा किंतु स्थायी समाधान के लिए दाल की खेती का रकबा बढ़ाकर उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि पर जोर रहेगा।
भारत दुनिया में दाल का सबसे बड़ा उत्पादक
भारत दाल का दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता एवं आयातक है। किंतु घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रत्येक वर्ष लगभग 20 से 26 लाख टन दाल का आयात करना पड़ता है। कृषि एवं किसान मंत्रालय की जिम्मेवारी संभालने के बाद मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दलहन एवं तेलहन की कमी को चुनौती की तरह लिया है। लगातार तीन दिनों से अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं। किसानों की जरूरतों को समझ रहे हैं। उन्होंने महसूस किया कि देश में सबसे ज्यादा मांग अरहर दाल की है।
अरहर एवं उड़द दाल की उपज बढ़ाने पर फोकस
कृषि मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि शीर्ष स्तर पर चर्चा के दौरान बात आई कि 100 दिन के एजेंडे के तहत ऐसी नीति की ओर बढ़ना है जिसके माध्यम से देश में अरहर एवं उड़द दाल की उपज बढ़ाई जा सके। किसानों को धान और गेहूं की परंपरागत खेती से अलग करके दलहन की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। साथ ही उत्पादन के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर पूरी उपज की खरीद सुनिश्चित की जा सके। ऐसा करने पर दाल की खेती के लिए किसान प्रेरित होंगे। आयात घटाने के लिए प्रोत्साहन योजना लाने के साथ-साथ दूसरे देशों में कांट्रैक्ट फार्मिंग के विकल्पों पर भी विचार किया जा सकता है।शिवराज सिंह चौहान से कृषि क्षेत्र को बड़ी उम्मीद
शिवराज सिंह चौहान से कृषि क्षेत्र को बड़ी उम्मीद है। इसलिए कि मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने इस क्षेत्र में बेहतर काम किया है। सूत्रों के मुताबिक दलहन एवं तिलहन उत्पादन प्रोत्साहन योजना तैयार है। दालों की खरीद में केंद्रीय एजेंसियों एनसीसीएफ, नाफेड एवं सहकारी संस्थाओं को अत्यधिक मुस्तैद किया जाएगा। किसानों को खुले बाजार में भी जाने की छूट होगी। उत्पादकता बढ़ाने के लिए सरकार किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध कराएगी।
एक दशक में 60 फीसदी बढ़ी दालों की उपज
दालों की वर्तमान जरूरतों को पूरा करने के लिए पहले से भी उपाय किए जा रहे हैं। एक दशक में दलहन की उपज में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। चालू वर्ष में दाल उत्पादन 245 लाख टन का अनुमान है। इसमें अरहर 33.85 लाख टन है। चना एवं अन्य दालों का उत्पादन तेजी से बढ़ा है। किंतु अरहर एवं उड़द में अभी काफी काम करना है। इसलिए इन दोनों का रकबा बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। अरहर खरीद के लिए किसानों का निबंधन बीज बोने से पहले ही कराया जा रहा है। अन्य दलहन की खरीद के लिए भी विचार किया जा रहा है।उपभोक्ता कार्य विभाग की सचिव निधि खरे ने दूसरे देशों से दाल आयात के लिए नियमों को आसान बनाया और म्यांमार से मुद्रा से संबंधित दिक्कतों को दूर किया। घरेलू स्तर पर प्रबंध किया गया है। वायदा व्यापार में संलिप्त पाए जाने वाले कारोबारियों से सख्ती से निपटने का आदेश दिया गया है। आयातकों, मिल मालिकों, स्टाकिस्टों एवं खुदरा विक्रेताओं को अपने-अपने स्टॉक के बारे में ईमानदारी से बताने का निर्देश दिया गया है। आयातित पीली मटर समेत अन्य दालों के स्टॉक की जानकारी प्रत्येक शुक्रवार की शाम तक मंत्रालय के पोर्टल पर देना जरूरी कर दिया गया है।