E-Commerce कंपनियां पैसे देकर नहीं करा पाएंगी फर्जी रिव्यू, सरकार ने किया मानदंडों का एलान
ऑनलाइन सामान बेचने वाली कंपनियों द्वारा किए जा रहे फर्जीवाड़े को देखते हुए सरकार ने सख्ती बरतने का फैसला किया है। अब अपने प्लेटफॉर्म पर बिकने वाले सामान की झूठी समीक्षा कंपनियों के लिए भारी पड़ सकती है।
By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Mon, 21 Nov 2022 08:16 PM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। अब ई-कॉमर्स कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म पर बिकने वाले सामान का फर्जी रिव्यू डालकर आम आदमी को गुमराह नहीं कर सकेंगी। फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर उत्पादों और सेवाओं के रिव्यू के स्रोत का खुलासा करना होगा। कंपनियों को बताना होगा कि ये रिव्यू प्रायोजित तो नहीं हैं और क्या इनके लिए कोई भुगतान किया गया है? सरकार नकली समीक्षाओं पर अंकुश लगाने के लिए नए मानदंड ला रही है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने सोमवार को इसकी नियमावली (बायलाज) जारी करते हुए बताया कि यह 25 नवंबर से लागू हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से जहां अच्छी सेवा और उत्पाद बेचने वाली कंपनियों को लाभ होगा, वहीं उपभोक्ताओं को ठगने वालों पर नियंत्रण लगाने में मदद मिलेगी।बढ़ती शिकायतों को देखते हुए नियमावली तैयार करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था। इसमें प्रमुख ई-कामर्स कंपनियों के साथ उद्योग व व्यापार संगठनों के प्रतिनिधियों भी शामिल थे।
क्या है प्रस्ताव
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने सोमवार को कहा कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने ऑनलाइन उपभोक्ता समीक्षाओं के लिए एक नया मानक 'आईएस 19000:2022' तैयार किया है। ये मानक किसी भी ऐसे संगठन पर लागू होंगे जो उपभोक्ता समीक्षाओं को ऑनलाइन प्रकाशित करता है। इसमें उन उत्पादों और सेवाओं के आपूर्तिकर्ता शामिल हैं जो अपने ग्राहकों से किसी प्रोडक्ट का रिव्यू कराते हैं या किसी थर्ड पार्टी द्वारा कोई पेड रिव्यू लिखवाते हैं।बीआईएस अगले 15 दिनों के भीतर इसके लिए एक सर्टीफिकेशन शुरू करेगा, ताकि यह जांचा जा सके कि कोई संगठन इन मानकों का पालन कर रहा है या नहीं। ई-कॉमर्स कंपनियां बीएसआई के साथ इस सेर्टिफिकेट को हासिल करने के लिए आवेदन कर सकती हैं। सरकार ने ऐसे रिव्यू पर रोक लगा दी है कि जो आपूर्तिकर्ता या संबंधित तीसरे पक्ष द्वारा मार्केटिंग उद्देश्यों के लिए खरीदा या लिखा गया है। व्यापक परामर्श के बाद तैयार किया गया मसौदा 25 नवंबर से प्रभावी होगा। फिलहाल तो ये मानक स्वैच्छिक होंगे लेकिन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर नकली रिव्यू पर अंकुश न लग पाने की स्थिति में सरकार उन्हें अनिवार्य बनाने पर विचार कर सकती है।
ऑनलाइन रिव्यू के लिए मानक
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि भारत ऑनलाइन समीक्षाओं के लिए मानक तैयार करने वाले शायद दुनिया के पहले देश हैं। उन्होंने कहा, 'हम इस उद्योग को तोड़ना नहीं करना चाहते हैं। हम बस एक सही रास्ता अख्तियार करना चाहते हैं। हम पहले देखेंगे कि कंपनियां खुद से इसका पालन कर रही हैं या नहीं। यदि खतरा बढ़ता रहा तो हम भविष्य में इसे अनिवार्य कर सकते हैं।'
इन क्षेत्रों पर होगा असर
ऑनलाइन समीक्षाएं ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर खरीदारी के निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। तीन प्रमुख क्षेत्र हैं, जहां समीक्षाएं टेक्स्ट, वीडियो या ऑडियो रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं- यात्रा और भोजनालय और टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं।समीक्षाओं का होगा 'रिव्यू'
कोई भी समीक्षा वैध, सटीक और भ्रामक नहीं होनी चाहिए। समीक्षा करने वालों की पहचान बिना अनुमति के प्रकट नहीं की जानी चाहिए और कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई ही सूचना छिपाई न गई हो। यदि कोई समीक्षा खरीदी जाती है या समीक्षा लिखने के लिए किसी को पैसा दिया जा रहा है तो तो स्पष्ट रूप से लिखना होगा कि यह पेड रिव्यू है।ये कंपनियां हैं शामिल
नकली रिव्यू और स्टार रेटिंग उपभोक्ताओं को ऑनलाइन उत्पादों और सेवाओं को खरीदने के लिए गुमराह करती हैं। नई गाइडलाइन बनाने में Zomato, Swiggy, Reliance Retail, Tata Sons, Amazon, Flipkart, Google, Meta, Mesho, Blinkit और Zepto जैसी कंपनियां शामिल की गई थीं और उन्होंने इन मानकों के अनुपालन का आश्वासन दिया है। सीआईआई, फिक्की, एसोचैम, नैसकॉम, एएससीआई, एनआरएआई और सीएआईटी जैसे उद्योग निकायों से भी मानकों को तैयार करते समय परामर्श किया गया था।ये हैं खास बातें
- जो जैसा लिखा है, वैसा ही प्रकाशित होगा।
- ग्राहक की मर्जी के बिना उसकी निजता से छेड़छाड़ नहीं होगी।
- अपनी सुविधा के अनुसार रे¨टग करने अथवा कुछ छिपाने पर सख्त पाबंदी होगी।
- रिव्यू करने वाले की पहचान करनी होगी।
- केवाईसी प्रक्रिया को लागू करना होगा।
- नियमों की खिलाफ की गई हरकत को अनुचित व्यापार व्यवहार माना जाएगा।
- अवहेलना अथवा अवमानना करने पर उपभोक्ता आयोग और केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण कार्रवाई कर सकता है।
- आजकल वेबसाइट के माध्यम से उपभोक्ता सेवाओं और उत्पादों की खरीद करते हैं। ग्राहकों को भ्रमित करने के लिए कुछ कंपनियां फर्जी रिव्यू और रे¨टग कराती हैं। ट्रैवल बुकिंग जैसे प्लेटफार्म पर रिव्यू और स्टार रेटिंग काफी मायने रखती है। ऐसे में घटिया उत्पादों और सेवाओं के अच्छे रिव्यूज और स्टार रेटिंग नहीं मिलेगी तो उपभोक्ता इससे दूर रहने में ही भलाई समझेगा।