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Windfall Tax: अंतरराष्ट्रीय बाजार में घटे कच्चे तेल के दाम तो सरकार ने दी राहत, पेट्रोल और डीजल पर विंडफॉल टैक्स में कटौती

Windfall Tax डीजल और पेट्रोल की घरेलू आपूर्ति को सुधारने और तेल कंपनियों को हो रहे भारी मुनाफे को देखते हुए सरकार ने पेट्रोल डीजल और एविएशन फ्यूल अलग-अलग कर लगाए थे। इसके बाद से कंपनियों का कहना था कि उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Wed, 20 Jul 2022 08:35 AM (IST)
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Govt cuts windfall tax on fuel due to global crude oil prices fall
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सरकार ने तेल उत्पादक कंपनियों को राहत देते हुए डीजल और एविएशन फ्यूल शिपमेंट पर विंडफॉल टैक्स (Windfall Tax) 2 रुपये प्रति लीटर कम कर दिया। इसके अलावा गैसोलीन पर 6 रुपये प्रति लीटर की दर से लगने वाला निर्यात शुल्क भी समाप्त कर दिया है। तेल की घरेलू सप्लाई को सुचारु रूप से बनाए रखने के लिए सरकार ने 1 जुलाई, 2022 को विंडफॉल टैक्स लगाने की घोषणा की थी। तीन सप्ताह से भी कम समय में ईंधन की कीमतों लगने वाले विंडफॉल टैक्स में कटौती से देश के शीर्ष ईंधन तेल निर्यातक और उत्पादक रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और दूसरी कंपनियों को राहत मिलने के आसार हैं।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में घटी ईंधन की कीमत

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर लगाए गए विंडफॉल टैक्स में लगभग 27 फीसदी की कमी की है। इस तरह यह कटौती 17,000 रुपये प्रति टन के आसपास बैठती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार कर की दरों में और भी कमी कर सकती है। बता दें कि तेल उत्पादक कंपनियों पर यह कर 1 जुलाई को लगाया गया था। ऊर्जा कंपनियों के तेजी से बढ़ते मुनाफे को रोकने के लिए भारत ने विंडफॉल टैक्स लगाया था। लेकिन उसके बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन की कीमतें लगातार नीचे आ रही हैं, जिससे तेल उत्पादकों और रिफाइनर, दोनों के लाभ मार्जिन में कमी आई है।

तेल कंपनियों को बड़ी राहत

संभावित वैश्विक मंदी की चिंताओं के कारण जून के मध्य से अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है। एशिया में गैसोलीन और डीजल की प्रोसेसिंग से होने वाले रिटर्न में हाल के हफ्तों में तेजी से गिरावट आई है। आपूर्ति में वृद्धि के कारण इस तिमाही में मार्जिन में और गिरावट की आशंका व्यक्त की जा रही है। रिलायंस और नायरा एनर्जी लिमिटेड को सरकार की इस फैसले से राहत मिलने की उम्मीद है। निजी स्वामित्व वाली ये दोनों रिफायनरी भारत के कुल गैसोलीन और डीजल निर्यात का 80 से 85 हिस्सा शेयर करती हैं।