रकबा घटा फिर भी खाद्यान्न उत्पादन का बढ़ाया गया लक्ष्य, कृषि मंत्रालय ने राज्यों को उत्पादकता बढ़ाने के समझाए उपाय
देश के बड़े हिस्से में मानसून की अच्छी बारिश नहीं होने से खरीफ फसलों की बोआई रकबा घट गया है। इसके बावजूद चालू फसल वर्ष 2022-23 के लिए खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य 32.8 करोड़ टन निर्धारित किया गया है।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sun, 11 Sep 2022 09:01 PM (IST)
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। देश के बड़े हिस्से में मानसून की अच्छी बारिश नहीं होने के बावजूद चालू फसल वर्ष 2022-23 के लिए खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य 32.8 करोड़ टन निर्धारित किया गया है। देश के कुछ हिस्सों में बाढ़ और कुछ में सूखे जैसे हालत की वजह से ही खरीफ फसलों की बोआई रकबा घट गया है। इसके बावजूद रबी सीजन के तैयारी सम्मेलन में खाद्यान्न की पैदावार का लक्ष्य बढ़ाकर तय किया गया है।
गेहूं की पैदावार का लक्ष्य भी बढ़ा
रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की पैदावार का लक्ष्य भी बढ़ाकर 11.2 करोड़ टन निर्धारित किया गया है। जबकि पिछले रबी सीजन में गेहूं की पैदावार 10.6 करोड़ टन पर सिमट गई थी। उधर, खरीफ सीजन में बोआई रकबा घटा है जबकि पैदावार का लक्ष्य बढ़ा दिया गया है। पिछले फसल वर्ष 2021-22 के दौरान कुल 31.57 करोड़ टन अनाज की पैदावार हुई थी।
राज्यों को साथ लेने की कोशिश
चालू फसल वर्ष 2022-23 में इसे चार प्रतिशत बढ़ाकर 32.8 करोड़ टन का लक्ष्य तय कर दिया गया है। इसको प्राप्त करने के लिए मैराथन तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। किसानों को खेती के लिए हरसंभव मदद मुहैया कराने के लिए राज्यों को साथ लिया जा रहा है। रबी सीजन की फसलों में गेहूं, चना और सरसों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा होती है। रबी फसलों की बोआई नवंबर से जनवरी तक होती है, जबकि कटाई अप्रैल और मई में की जाती है।कृषि मंत्रालय ने राज्यों को उत्पादकता बढ़ाने के उपाय समझाए
सरकार ने खाद्यान्न पैदावार का लक्ष्य बढ़ाकर निर्धारित किया है, जबकि खरीफ फसलों की बोआई में कमी दर्ज की गई है। खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान की रोपाई रकबा पिछले खरीफ सीजन के मुकाबले 5.6 प्रतिशत घट गया है। इसी सप्ताह रबी तैयारी सम्मेलन में कृषि मंत्रालय राज्यों को उत्पादकता बढ़ाने के उपायों को समझाने की कोशिश करता रहा।
आधुनिक तकनीक का सहारा लेने पर जोर
फसलों की उत्पादकता के लिए फसल विविधीकरण, इंटरक्रापिंग, उन्नत प्रजाति के बीजों की आपूर्ति और कम उत्पादकता वाले क्षेत्रों में आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जाना चाहिए। जिन क्षेत्रों में मानसून की कम बारिश हुई है, वहां की मिट्टी में नमी को बनाए रखने के उपाय किए जाने चाहिए। सरकार की प्राथमिकता फसल विविधीकरण के तहत गेहूं और धान की फसलों की खेती की जगह दलहनी, तिलहनी व निर्यात होने वाली फसलें हैं। खेतों में नमी की कमी से भी गेहूं की फसल प्रभावित हो सकती है।गेहूं का उत्पादन निर्धारित लक्ष्य से तीन प्रतिशत कम रहा
पिछले फसल वर्ष 2021-22 में खाद्यान्न का उत्पादन 31.57 करोड़ टन के लक्ष्य को छू लिया था। इसमें धान की रिकार्ड पैदावार 13.02 करोड़ टन हुई। जबकि गेहूं का उत्पादन निर्धारित लक्ष्य से तीन प्रतिशत कम 10.68 करोड़ टन ही हुआ। गेहूं की पैदावार को फसल पकते समय तापमान में अप्रत्याशित वृद्धि से नुकसान पहुंचा। गेहूं की पैदावार में गिरावट की आधिकारिक सूचना मिलते ही सरकार ने फौरन गेहूं निर्यात पर रोक लगा दी थी।