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मोदी सरकार का बड़ा फैसला, ई ऑक्शन से होगा कोल ब्लाक का आवंटन

महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावों मे मिली भारी सफलता के बाद मोदी सरकार ने आर्थिक सुधारों के बेहद संवेदनशील मुद्दों पर भी पूरी धमक के साथ फैसला करना शुरू कर दिया है। दो दिन पहले ही पेट्रोलियम क्षेत्र में चार बेहद अहम फैसलों के बाद सोमवार को कोयला क्षेत्र में सरकार ने अब तक का सबसे बड़ा कदम उठाया है। कोल ब्लॉक आवंटन को रद करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पैदा संकट को अवसर में बदलते हुए सरकार ने ऐसे कोयला ब्लॉकों की नीलामी का रास्ता साफ कर दिया है। यह नीलामी पूरी

By Sachin MishraEdited By: Updated: Tue, 21 Oct 2014 10:54 AM (IST)
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नई दिल्ली, [जयप्रकाश रंजन]। महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावों मे मिली भारी सफलता के बाद मोदी सरकार ने आर्थिक सुधारों के बेहद संवेदनशील मुद्दों पर भी पूरी धमक के साथ फैसला करना शुरू कर दिया है। दो दिन पहले ही पेट्रोलियम क्षेत्र में चार बेहद अहम फैसलों के बाद सोमवार को कोयला क्षेत्र में सरकार ने अब तक का सबसे बड़ा कदम उठाया है। कोल ब्लॉक आवंटन को रद करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पैदा संकट को अवसर में बदलते हुए सरकार ने ऐसे कोयला ब्लॉकों की नीलामी का रास्ता साफ कर दिया है। यह नीलामी पूरी तरह से पारदर्शी तरीके व इंटरनेट के जरिये होगी।

पहले चरण में केंद्र और राज्य सरकारों के उपक्रमों को अलग से ब्लॉक आवंटित होंगे। रद ब्लॉकों का एक समूह बनेगा और उनमें से स्टील, बिजली, सीमेंट कंपनियों के बीच ई-ऑक्शन से कोयला ब्लॉक नीलाम होंगे। साथ ही, केंद्र सरकार ने ये स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि भविष्य में वाणिज्यिक मतलब के लिए भी कोयला ब्लॉक नीलाम किए जाएंगे। इस कदम को कोयला ब्लॉकों पर सरकारी कंपनियों के एकाधिकार खत्म होने के तौर पर भी देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को कैबिनेट ने इस फैसले पर मुहर लगा दी। वित्ता मंत्री अरुण जेटली ने इस फैसले के बारे में बताया कि पहले चरण में लगभग 74 कोयला ब्लॉकों के नीलामी की प्रक्रिया तीन से चार महीने में पूरी हो जाएगी। इस प्रक्रिया से प्राप्त समूचा राजस्व राज्य सरकारों को दिया जाएगा।

मोदी सरकार की अर्थपूर्ण सियासत:

मोदी सरकार का यह फैसला भारतीय जनता पार्टी को ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड में पांव फैलाने में मदद करेगा। वहीं, छत्ताीसगढ़ में इससे स्थिति मजबूत होगी। इन्हीं राज्यों में देश के ज्यादातर कोयला ब्लॉक हैं। इन राज्यों में जहां ये ब्लॉक हैं, वहां आम तौर पर आदिवासी रहते हैं। इस तरह से पार्टी जनजातियों के बीच भी इस बड़े फैसले को भुना सकती है। जेटली के मुताबिक, कोयला ब्लॉक नीलामी का पूरा राजस्व मिलने से इन राज्यों की वित्ताीय स्थिति बहुत सुधरेगी। अमूमन कोल ब्लॉक पूर्वी राज्यों में हैं और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है। मोदी राज्यों को ज्यादा आर्थिक आजादी देने के पक्षधर रहे हैं। महाराष्ट्र चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कई बार इस बात को उठाया भी था।

राष्ट्रपति के पास भेजी सिफारिश:

कैबिनेट ने ताजा के फैसले के तहत अध्यादेश जारी करने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेज भी दी। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में वर्ष 1993 के बाद आवंटित 218 में से 214 ब्लॉक रद कर दिए थे। इससे इन ब्लॉकों और इनमें लाखों करोड़ रुपये निवेश करने वाली कंपनियों के भविष्य पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। सरकार ने इस अध्यादेश के जरिये ही हालात को साफ करने की कोशिश की है। अध्यादेश इन ब्लॉकों के जमीन को सरकार के पास लौटाने का रास्ता साफ करेगा।

वित्ता मंत्री जेटली ने यह कहा कि यह कोयले के राष्ट्रीयकरण की मौजूदा स्थिति को नहीं बदलता है। लेकिन भविष्य में कोयला ब्लॉक वाणिज्यिक हितों के लिए भी आवंटित किए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी कंपनी कोल इंडिया के हितों की पूरी रक्षा की जाएगी। इस सरकारी कंपनी के पास 200 से ज्यादा पड़े कोयला ब्लॉकों में जल्द से जल्द खनन शुरू करने के लिए मदद की जाएगी।

भंडारों के बावजूद भारी कोयला आयात:

पूर्व संप्रग सरकार की नीतियों और खानों के विकास में देरी से कोयले की मांग व आपूर्ति में भारी अंतर पैदा हो गया है। कोयले की इस किल्लत को आयात से पूरा किया जा रहा है। इस वजह से ही भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कोयला आयातक बन गया है। ऐसा इस तथ्य के बावजूद हुआ कि कोयला भंडारों के मामले में देश विश्व में पांचवें नंबर पर है।

-फैसले की खास बातें-

-स्क्रीनिंग समिति के जरिये अब नहीं होंगे कोल ब्लॉक आवंटन

-रद कोयला ब्लॉकों की सरकार करेगी नए सिरे से नीलामी

-केंद्र व राज्य सरकारों की कंपनियों को अलग से मिलेंगे ब्लॉक

-कोयला खपत करने वाली कंपनियों को सीधे होगी नीलामी

-भविष्य में वाणिज्यिक उद्देश्य के लिए भी कोल ब्लॉक होंगे नीलाम

-कोयला ब्लॉकों पर सरकारी कंपनियों का एकाधिकार होगा खत्म

-नीलामी से प्राप्त होने वाला सारा राजस्व राज्यों को जाएगा

-ओडिशा, झारखंड, बंगाल में भाजपा को पैर फैलाने में मिलेगी मदद

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