टेलीकॉम कंपनियों का अधिग्रहण हुआ आसान
नई दिल्ली। टेलीकॉम कंपनियों की भीड़-भाड़ कम करने के लिए सरकार ने इस क्षेत्र में विलय एवं अधिग्रहण (एमएंडए) नियमों को आसान कर दिया है। दूरसंचार विभाग (डॉट) ने इस संबंध में नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके तहत टेलीकॉम कंपनियों को आसानी से एक-दूसरे में विलय की इजाजत दी गई है। इसमें कहा गया है कि विलय से बनी कंपनी की
By Edited By: Updated: Thu, 20 Feb 2014 10:47 PM (IST)
नई दिल्ली। टेलीकॉम कंपनियों की भीड़-भाड़ कम करने के लिए सरकार ने इस क्षेत्र में विलय एवं अधिग्रहण (एमएंडए) नियमों को आसान कर दिया है। दूरसंचार विभाग (डॉट) ने इस संबंध में नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके तहत टेलीकॉम कंपनियों को आसानी से एक-दूसरे में विलय की इजाजत दी गई है। इसमें कहा गया है कि विलय से बनी कंपनी की बाजार हिस्सेदारी किसी सर्किल में 50 फीसद से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
मौजूदा नियमों के तहत विलय से बनने वाली कंपनी के ग्राहकों की संख्या किसी भी सर्किल में 40 फीसद से ज्यादा नहीं होने की बाध्यता है। नए दिशानिर्देशों के मुताबिक टेलीकॉम कंपनियां अब तीन साल की लॉक-इन अवधि के दौरान भी विलय एवं अधिग्रहण (एमएंडए) समझौते कर सकेंगी। मगर विलय से बनने वाली नई कंपनी पर लॉक-इन नियम लागू होंगे। फिलहाल इस अवधि के दौरान नई कंपनियां अपनी हिस्सेदारी नहीं बेच सकती। टेलीकॉम क्षेत्र में इन दिशानिर्देशों का लंबे समय से इंतजार हो रहा था। अब निर्देश जारी होने से इस क्षेत्र में नया निवेश आने और एकीकरण गतिविधियां बढ़ने के आसार हैं। फिलहाल देश में 12 टेलीकॉम ऑपरेटर हैं। नए दिशानिर्देशों के मुताबिक पुराने दाम पर 4.4 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम हासिल करने वाली कंपनियों को हालिया नीलामी में तय हुई कीमत के मुताबिक बकाया राशि का भुगतान करना होगा। नई नीलामी में तय हुई कीमत एक साल की अवधि तक वैध रहेगी। इसके बाद अतिरिक्त कीमत भारतीय स्टेट बैंक की प्रमुख उधारी दर को जोड़कर तय की जाएगी। विलय से बनी नई इकाई के पास एक सर्किल में आवंटित 25 फीसद स्पेक्ट्रम से ज्यादा स्पेक्ट्रम नहीं होने चाहिए। साथ ही एक बैंड का 50 फीसद से ज्यादा स्पेक्ट्रम नहीं होना चाहिए। टाटा टेलीसर्विसेज (टीटीएसएल), सिस्टेमा श्याम और रिलायंस कंम्युनिकेशंस जैसी सीडीएमए कंपनियों के मामले में स्पेक्ट्रम की यह अधिकतम सीमा 10 फीसद तय की गई है। विलय से बनी इकाई को एक सर्विस एरिया में 3जी स्पेक्ट्रम के अधिकतम दो ब्लॉक रखने की इजाजत दी गई है।
जीएसएम ऑपरेटरों के संगठन सीओएआइ के महानिदेशक रंजन एस मैथ्यूज ने कहा कि हम नई नीति का स्वागत करते हैं। हमें उम्मीद है कि अब हर सर्किल में चार से पांच ऑपरेटर होंगे। मगर जो स्पेक्ट्रम नीलामी से हासिल नहीं किया गया है, उसकी लागत में वृद्धि और लॉक इन पीरियड चिंता का विषय है। अधिग्रहण करने वाली कंपनी जब पहले ही अधिग्रहण के लिए बाजार कीमत चुका रही है तब उस पर लॉक इन अवधि नहीं लागू होनी चाहिए। खबरों के मुताबिक कई कंपनियों की योजना एयरसेल और टीटीएसएल में हिस्सेदारी खरीदने की है। इसके लिए नए दिशानिर्देशों का इंतजार किया जा रहा था। दोनों कंपनियों को 1,658 करोड़ रुपये के पुराने दाम पर स्पेक्ट्रम आवंटित हुए थे।