4 हवाई अड्डों में AAI की हिस्सेदारी बेचने का फैसला टला, सरकार ने लगाई अस्थायी रोक
हवाई अड्डों में सरकार की हिस्सेदारी बेचने का फैसला फिलहाल टाल दिया गया है। इस योजना की घोषणा पिछले साल अगस्त में की गई थी। आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2022 से 25 के लिए इन संपत्तियों की कुल कीमत 20782 करोड़ रुपये आंकी गई है।
By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Wed, 30 Nov 2022 03:18 PM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सरकार ने दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु हवाईअड्डों का संचालन करने वाले निजी संयुक्त उद्यमों में एएआई की हिस्सेदारी को बेचने का फैसला अस्थायी रूप से टालने का फैसला किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। राज्य के स्वामित्व वाली एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के चार प्रमुख हवाई अड्डों में सरकार की हिस्सेदारी राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) के तहत बेची जानी है।
एएआई के पास दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों को संचालित करने वाले संयुक्त उद्यमों में प्रत्येक में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी है। हैदराबाद और बेंगलुरु हवाई अड्डों को संचालित करने वाले संयुक्त उद्यमों में प्रत्येक में इसकी 13 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
मूल्यांकन पर हो रहा मंथन
राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन NMP का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2025 तक चार साल की अवधि में केंद्र सरकार की मुख्य संपत्तियों के माध्यम से 6 लाख करोड़ रुपये हासिल किए जाएंगे। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि वित्त मंत्रालय ने फिलहाल इन चार संयुक्त उपक्रमों में एएआई की शेष हिस्सेदारी की बिक्री टालने का फैसला किया है। अधिकारी ने कहा कि अभी इनके मूल्यांकन का काम पूरा नहीं हो सका है।
आपको बता दें कि इन परिसंपत्तियों का प्रबंधन निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आता है। एनएमपी के तहत चार हवाईअड्डों सहित 25 हवाईअड्डों में एएआई की बची हुई हिस्सेदारी का मूल्यांकन किया गया है। वित्त वर्ष 2022-25 के लिए इन संपत्तियों की कुल कीमत 20,782 करोड़ रुपये आंकी गई थी।