हिंदुस्तान जिंक के OFS पर फैसला बाजार परीक्षण के बाद, कंपनी में सरकार की 29.54 प्रतिशत हिस्सेदारी
एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि इससे पहले हिंदुस्तान जिंक ने कहा था कि वह कंपनी को विभिन्न इकाइयों में विभाजित करने के प्रस्ताव पर केंद्र के साथ समन्वय जारी रखेगा। कंपनी ने कहा था कि वह अभी भी प्रस्ताव पर खान मंत्रालय के साथ बातचीत कर रही है और कुछ मुद्दों का समाधान करने की कोशिश कर रही है।
पीटीआई, नई दिल्ली। खनन सचिव वीएल कांता राव ने सोमवार को कहा कि सरकार बिक्री पेशकश (ओएफएस) के माध्यम से वेदांता समूह की कंपनी हिंदुस्तान जिंक में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए प्रतिबद्ध है और इस संबंध में बाजार का परीक्षण करने के बाद कोई फैसला लेगी। हिंदुस्तान जिंक में सरकार की 29.54 प्रतिशत हिस्सेदारी है। खास बात यह है कि मंत्रालय का बयान हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की डिमर्जर योजना को खारिज करने के बाद आया है।
हालांकि राव ने स्पष्ट किया कि एक शेयरधारक के तौर पर कंपनी डिमर्जर पर सहमत नहीं है। कंपनी ने अपने बाजार पूंजीकरण को बढ़ाने के लिए अपने कारोबार को जस्ता और चांदी सहित अलग-अलग कंपनियों में विभाजित करने की योजना का एलान किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में सरकार को हिंदुस्तान जिंक में अपनी शेष हिस्सेदारी को खुले बाजार में बेचने की अनुमति दी थी।सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में सरकार को हिंदुस्तान जिंक में अपनी शेष हिस्सेदारी को खुले बाजार में विनिवेश करने की अनुमति दी।
एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि इससे पहले, हिंदुस्तान जिंक ने कहा था कि वह कंपनी को विभिन्न इकाइयों में विभाजित करने के प्रस्ताव पर केंद्र के साथ समन्वय जारी रखेगा। कंपनी ने कहा था कि वह अभी भी प्रस्ताव पर खान मंत्रालय के साथ बातचीत कर रही है और कुछ मुद्दों का समाधान करने की कोशिश कर रही है।वेदांत समूह की कंपनी ने अपने बाजार पूंजीकरण को बढ़ाने के लिए अपने कारोबार को जस्ता और चांदी सहित अलग-अलग संस्थाओं में विभाजित करने की योजना की घोषणा की थी। राव ने कहा था, ''हमारे सामने जो भी रिपोर्ट है, हम एक शेयरधारक के तौर पर आश्वस्त नहीं हैं।''