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दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप-1 लागू, जानिए, कैसे रियल एस्टेट पर पड़ेगा इसका असर

Delhi NCR GRAP Rule Implemented दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP Rule) लागू हो गया। इस नियम का असर रियल एस्टेट सेक्टर पर पड़ेगा। रियल एस्टेट सेक्टर दिग्गजों ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी है। हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि GRAP Rule के नियम लागू हो जाने पर रियल एस्टेट पर क्या असर पड़ेगा।

By Priyanka Kumari Edited By: Priyanka Kumari Updated: Fri, 18 Oct 2024 03:44 PM (IST)
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ग्रैप-1 लागू होने जाने पर रियल एस्टेट पर क्या असर पड़ेगा

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP Rule) लागू हो गया है। इसके तहत प्रदूषण के बढ़ते स्तर के अनुसार सख्त नियम लागू किए जाएंगे, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर पर भी असर पड़ेगा। निर्माण कार्यों पर रोक और सख्त दिशा-निर्देशों का पालन करना डेवलपर्स के लिए अनिवार्य होगा।

ग्रैप का उद्देश्य वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना है, जिसमें निर्माण कार्यों को रोकने के अलावा कई तरह के प्रतिबंध शामिल हैं। इन नियमों को पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मिलकर तैयार किया है।

क्या है ग्रैप-1 (What is GRAP rule)

आमतौर पर ग्रैप-1 तब लागू होता है जब शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 200 से ऊपर चला जाता है। इसके तहत होटलों और रेस्तरां में कोयला और लकड़ी के इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाता है। इसके साथ ही पुराने पेट्रोल (बीएस-III) और डीजल (बीएस-IV) वाहनों पर कड़ी निगरानी रखी जाती है। निर्माण और विध्वंस कार्यों में धूल को रोकने के उपाय और सीएंडडी कचरे के सही प्रबंधन के निर्देशों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाता है। इसके अलावा, 500 वर्ग मीटर या उससे बड़े प्लॉट पर उन परियोजनाओं में सीएंडडी गतिविधियों की अनुमति नहीं होगी, जो संबंधित वेब पोर्टल पर पंजीकृत नहीं हैं।

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क्या कहते हैं डेवलपर्स?

सिग्नेचर ग्लोबल के चेयरमैन प्रदीप कुमार अग्रवाल का कहना है कि ग्रैप के नियमों का पालन करना हमारे लिए एक इनोवेशन का मौका है। इससे हम बेहतर निर्माण प्रक्रियाएं अपना सकते हैं और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा सकते हैं। ये दिशा-निर्देश हमें बेहतर मटेरियल स्टोरेज और प्रभावी उत्सर्जन प्रबंधन जैसे ग्रीन सॉल्यूशंस में निवेश के लिए प्रेरित करते हैं। इन बदलावों को अपनाकर, हम पर्यावरण पर सकारात्मक असर डाल सकते हैं और दिल्ली-एनसीआर को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने में योगदान दे सकते हैं।

हमारा उद्देश्य वायु प्रदूषण को कम करना है। सभी निर्माण कार्यों का वेब पोर्टल पर पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। सभी डेवलपर्स से अनुरोध किया कि वे इन नियमों का पालन करें, ताकि दिल्ली-एनसीआर के लोगों को एक स्वस्थ और साफ वातावरण मिल सके।

क्रेडाई के चेयरमैन और गौड़ ग्रुप के सीएमडी मनोज गौड़

काउंटी ग्रुप के डायरेक्टर अमित मोदी ने कहा कि ग्रैप स्टेज-1 के नियमों का पालन करना हमारी प्राथमिकता है, जो पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जरूरी है।

हम अपने सभी प्रोजेक्ट्स में ग्रैप के दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं और पर्यावरण की सुरक्षा को सबसे पहले रखते हैं। प्रदूषण को नियंत्रित करना हमारी ज़िम्मेदारी है, और हम हर संभव प्रयास करेंगे ताकि हमारे कार्यों से वातावरण पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

अंसल हाउसिंग के डायरेक्टर कुशाग्र अंसल

राइ इन्फ्रावेंचर्स के एमडी शांतनु गंभीर का कहना है कि हम ग्रैप स्टेज-I को लागू करने और दिल्ली में प्रदूषण से निपटने में इसकी अहमियत को मानते हैं। अब जब ये नियम लागू हो गए हैं, तो डेवलपर्स के लिए जरूरी है कि वे निर्माण और अन्य स्रोतों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के उपाय अपनाएं। ग्रैप स्टेज-I का पालन करके हम मिलकर हवा की गुणवत्ता को सुधार सकते हैं और सतत विकास को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे इस क्षेत्र के लोगों को फायदा होगा।

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