GST On Health Insurance: हेल इंश्योरेंस से हट सकता है GST, काउंसिल की 54वीं बैठक में होगी चर्चा
जीवन और स्वास्थ्य बीमा से मिलने वाले जीएसटी का 72 प्रतिशत हिस्सा राज्यों के खातों में जाता है। पिछले तीन वर्ष में जीवन-स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी से 24529 करोड़ रुपए मिले। वहीं स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी से 2023-24 में 8262.94 करोड़ रुपये मिले। जीवन बीमा प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी से 2023-24 में 1484 करोड़ रुपये का राजस्व मिला।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल की 54वीं बैठक नौ सितंबर को होने जा रही है। यह बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि इसमें जीवन और स्वास्थ्य बीमा की खरीदारी पर लगने वाले 18 प्रतिशत जीएसटी दरों को या तो कम किया जा सकता है या फिर इसे पूरी तरह खत्म किए जाने पर चर्चा हो सकती है।
संभव है कि केंद्र की ओर से ही इसका विचार रखा जाए। हालांकि देखना यह होगा कि इसके समर्थन में कितने राज्य आते हैं। बता दें कि जीवन और स्वास्थ्य बीमा से मिलने वाले जीएसटी का 72 प्रतिशत हिस्सा राज्यों के खातों में जाता है जबकि 28 प्रतिशत केंद्र के पास रहता है। बैठक में जीएसटी स्लैब में बदलाव एवं उसे तर्कसंगत बनाने पर भी चर्चा की जाएगी।
9 सितंबर को होगी GST काउंसिल की बैठक
दरअसल, हेल्थ इंश्योरेंस पर लगने वाले 18 प्रतिशत जीएसटी को लेकर कुछ दिनों पहले तब राजनीतिक गर्मी बढ़ गई थी जब कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों ने इसके बहाने केंद्र पर लोगों के स्वास्थ्य से भी पैसा कमाने की बात कही थी।विपक्ष को इसलिए और भी अवसर मिल गया गया था, क्योंकि केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी इस संबंध में वित्त मंत्री को संसद सत्र के दौरान पत्र लिखा था। बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्तमंत्री ने इस मुद्दे पर राज्य सरकारों को ही कठघरे में खड़ा किया था। उन्होंने सभी विपक्षी पार्टियों से कहा था कि इस मुद्दे को वे अपने राज्य के वित्त मंत्रियों के समक्ष क्यों नहीं उठाते हैं।
जीएसटी काउंसिल की बैठक में सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं। वित्त मंत्री ने कहा था कि राज्यों के वित्त मंत्री ऐसा इसलिए नहीं करते हैं, क्योंकि हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी से जो राजस्व मिलता है, उनमें आधी हिस्सेदारी सीधे तौर पर राज्यों को मिलती है और केंद्र को मिलने वाली 50 प्रतिशत राशि में से भी 41 प्रतिशत राशि सभी राज्यों में वितरित हो जाती है।
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