ऑनलाइन गेमिंग पर GST: इंडस्ट्री के लीगल स्टेटस पर अधिक स्पष्टता प्रदान करने के लिए MeitY का विनियमन
21वीं सदी का नया भारत नई इकॉनमी को लेकर आगे बढ़ रहा है इस इकॉनमी में ऐसे कई उभरते हुए सेक्टर्स है जो विकास के लिए अत्यधिक संभावनाएं प्रदान करते हैं। ऐसे ही एक सेक्टर ऑनलाइन गेमिंग भी है जो स्पष्ट रूप से विकास की अत्यधिक संभावनाएं प्रदान करता है। यह एक ऐसा सेक्टर है जिससे भारत को वैश्विक स्तर पर अपना दबदबा बढ़ा सकता है।
नई दिल्ली, डॉ. जॉन जोसेफ: जैसे-जैसे भारत नई इकॉनमी को लेकर आगे बढ़ रहा है, यह ऐसे कई उभरते हुए सेक्टर्स की ओर देख रहा है जो विकास के लिए अत्यधिक संभावनाएं प्रदान करते हैं। दशकों से, भारत को इंटरनेट के एक कंज्यूमर के रूप में देखा गया है, ना कि प्रोड्यूसर के रूप में. इससे एक ऐसी स्थिति पैदा हुई जहां पारंपरिक बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों ने भारतीय मार्केट में अपना दबदबा बना लिया हैं, जबकि भारतीय स्टार्ट-अप्स ने खुद को भारत और विदेशों में स्थापित करने के लिए संघर्ष किया हैं।
लेकिन कई नई कंपनियां इसे बदलना शुरू कर रही हैं। ऑनलाइन गेमिंग स्पष्ट रूप से एक ऐसा एरिया है जो न केवल विकास की अत्यधिक संभावनाएं प्रदान करता है, बल्कि भारत को ग्लोबल मार्केट में भी जगह बनाने की पेशकश करता है। भारत के ग्लोबल दबदबे को बढ़ाने के अलावा, यह इनोवेशन और व्यवसाय में आसानी के लिए खुले देश के रूप में अपनी प्रतिष्ठा भी स्थापित कर सकता है।
एक मुख्य समस्या जो ऑनलाइन गेमिंग की वास्तविक विकास क्षमता को लगातार बाधित कर रही है वह वर्तमान गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (GST) पद्धति है. ऑनलाइन गेमिंग पर GST काफी समय से विवाद का विषय रहा है। एक महत्वपूर्ण चुनौती ऐसी धारणा रही है कि गेमिंग सट्टेबाजी और जुए के समान है, और इसलिए, इस पर समान रूप से टैक्स लगाया जाना चाहिए।
हालांकि, न केवल भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इसका अंतर स्पष्ट किया है, बल्कि भारत सरकार द्वारा सूचना टेक्नोलॉजी एक्ट के तहत जारी किये गए नवीनतम नियम यह स्पष्ट करते हैं कि ऑनलाइन गेम्स और फैंटेसी स्पोर्ट्स भारतीय इकॉनमी के विकास के नए इंजन हैं। ऐतिहासिक रूप से, ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स में उनके प्लेटफ़ॉर्म फी पर टैक्स लगाया जाता है - यह वह राशि है जो विजेताओं को इनाम की राशि वितरित करने के बाद बचती है. इसे टैक्सिंग ग्रॉस गेमिंग रेवेन्यू (GGR) के रूप में जाना जाता है – वितरित इनाम की राशि को घटाने के बाद बचने वाला कुल प्राइज पूल।
ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री ने लगातार बताया है कि यह सट्टेबाजी और जुए से अलग है. वे जोर देकर कहते हैं कि उनका प्राइज पूल पूरी तरह से यूजर्स को वितरित किया जाता है ना कि उनके रेवेन्यू का कुछ हिस्सा. जबकि GST काउंसिल और मंत्रियों के समूह (GoM) समिति इस मामले पर विचार-विमर्श कर रहे हैं, हाल ही के बदलावों की जांच करना महत्वपूर्ण है जो इंडस्ट्री की कानूनी स्थिति को प्रभावित करते हैं और जो निर्णय को प्रभावित करते हैं।
ऑनलाइन गेमिंग को रेगुलेट करने के लिए सेंट्रल नोडल एजेंसी के रूप में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) की अपॉइंटमेंट और उनके द्वारा सूचित किये गए आगे के नियम ऑनलाइन गेमिंग को एक वैध व्यावसायिक गतिविधि के रूप में सुदृढ़ बनाते हैं, इसे सट्टेबाजी और जुए से प्रभावी रूप से अलग करते हैं।
भारत सरकार द्वारा मान्यता-प्राप्त सेल्फ रेगुलेटरी बॉडी (SRB) द्वारा प्रमाणित कोई भी गेम जुआ, सट्टेबाजी और लॉटरी से स्पष्ट और विशिष्ट कानूनी स्थिति का लाभ उठाएगा. इससे ऑनलाइन गेमिंग के सट्टेबाजी और जुए के समान होने की चिंता दूर हो जाती है।
ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स के यूजर्स के लिए, पहले 10,000 रुपये से अधिक की राशि पर 30% TDS काटा जाता था. बजट 2023 में, ऑनलाइन गेमिंग के लिए एक नया सेक्शन पेश किया गया था, इसे लॉटरी और जुआ/सट्टेबाजी से अलग किया गया था. TDS फ्रेमवर्क को भी इस तरह से बदला गया था कि सभी जीत की राशि पर 30% टैक्स लगाया जाएगा।
GST के साथ जोड़ा गया है जिसका गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पहले से ही भुगतान करते हैं, TDS में यह बदलाव प्राइज पूल से किसी भी संभावित टैक्स रेवेन्यू के लीकेजेस को रोकता है. ऑनलाइन गेमिंग ईकोसिस्टम के माध्यम से आने वाला हर रुपया अब टैक्स के अधीन है, या तो TDS के माध्यम से या GST के माध्यम से।
इसके अतिरिक्त, सर्विस टैक्स के तहत ऑनलाइन गेमिंग पर हमेशा एक ऑनलाइन इन्फॉर्मेशन और डेटाबेस एक्सेस या रिट्रीवल (OIDAR) सर्विस के रूप में टैक्स लगाया गया है और उसके अनुसार पिछले 15 सालों से टैक्स का भुगतान किया गया था. अब इसे गुड्स के रूप में वर्गीकृत करना और टैक्स लगाना पिछले तरीके से विसंगत/अनुचित होगा।
गेमिंग और जुए के बीच अंतर करने वाले राज्य छत्तीसगढ़ जुआ निषेध अधिनियम, 2022 को मुख्य रूप से ऑनलाइन जुआ और सट्टेबाजी पर रोक लगाने के लिए इस साल मार्च में अधिसूचित किया गया था. यह ऑनलाइन जुए को पूरी तरह से प्रतिबंधित करता है लेकिन कौशल के गेम्स को इसमें शामिल नहीं किया गया है. इसे अन्य राज्यों के लिए एक मिसाल के रूप में काम करना चाहिए जो एक वैध और बढ़ते इंडस्ट्री सेक्टर के प्रति जागरूक रहते हुए ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी के खिलाफ कानून पर विचार कर रहे होंगे।
यह सरकारों की जागरूकता और बढ़ती समझ का भी प्रतिबिंब है कि कैसे ऑनलाइन गेमिंग जुआ और सट्टेबाजी के समान नहीं है. इन हाल ही के घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए, GST काउंसिल को निम्नलिखित बातों पर विचार करना चाहिए क्योंकि यह ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के लिए टैक्स फ्रेमवर्क पर विचार-विमर्श करता है:
अंतर को पहचानना: काउंसिल को ऑनलाइन गेमिंग, सट्टेबाजी और जुए के बीच के अंतर को पहचानना चाहिए, और सभी व्यवसायों के साथ एक-समान तरीके से व्यवहार करने से बचना चाहिए जो GST कानूनों के अनुरूप नहीं है।
उचित टैक्सेशन: काउंसिल को यह देखते हुए एक टैक्स फ्रेमवर्क प्रस्तुत करना चाहिए कि प्राइज पूल एक कार्रवाई योग्य क्लेम है और उनके रेवेन्यू का हिस्सा नहीं है. इसके अतिरिक्त, प्राइज पूल पर 30% के उच्चतम रेट पर TDS के लागू होने के साथ, किसी भी अतिरिक्त टैक्स का बोझ इस इंडस्ट्री और बिजनेस मॉडल को अव्यवहारिक बना देगा।
सर्विस टैक्स रेजिम के साथ निरंतरता: काउंसिल के लिए यह उचित होगा कि वह सर्विस टैक्स रेजिम के साथ निरंतरता बनाए रखे और ऑनलाइन गेमिंग को गुड्स के बजाय OIDAR सर्विस के रूप में टैक्स लगाना जारी रखे।
अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम पद्धतियां: ऑनलाइन गेमिंग के लिए टैक्स फ्रेमवर्क को विकसित करने में, काउंसिल को भारत में एक अच्छे और स्पर्धात्मक इंडस्ट्री को प्रमोट करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम पद्धतियों को अपनाने का प्रयास करना चाहिए।
जैसा कि ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री का विकास जारी है, GST काउंसिल के लिए एक ऐसा टैक्स फ्रेमवर्क विकसित करना महत्वपूर्ण है जो इसके यूनिक नेचर को स्वीकार करता है और इसके विकास का समर्थन करता है। नियमों और कानूनों में हाल ही के विकासों पर विचार करके, काउंसिल एक निष्पक्ष और न्यायपूर्ण टैक्सेशन सिस्टम स्थापित कर सकती है जो टैक्स रेवेन्यू को उचित रूप से इकट्ठा करने को सुनिश्चित करते हुए इंडस्ट्री को कामयाब होने के लिए प्रोत्साहित करती है।