Move to Jagran APP

अगले पांच वर्षो में बिजली से चलने लगेंगे आधे सरकारी वाहन

सरकारी मंत्रालयों के सहयोग से इलेक्ट्रिक कारों को बढ़ावा देने को एक विस्तृत नीति तैयार की जा रही है

By Praveen DwivediEdited By: Updated: Sun, 20 Aug 2017 12:07 PM (IST)
अगले पांच वर्षो में बिजली से चलने लगेंगे आधे सरकारी वाहन

नई दिल्ली (जेएनएन)। देश में सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन चलाने की की शुरुआत सरकारी गाड़ियों से की जाएगी। केंद्र की मंशा है कि अगले पांच वर्षो के भीतर 50 फीसद सरकारी वाहन बिजली से चलने लगें। अगर सिर्फ केंद्र और राज्य सरकारों के सारे विभागों व उपक्रमों में बैट्रीचालित वाहनों का उपयोग होने लगे तो इससे उद्योग के लिए एक लाख करोड़ रुपये का कारोबार पैदा हो सकता है।

यह काम बिजली मंत्रालय के तहत आने वाली एनर्जी एफिसिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) के जरिये किया जाएगा। तकरीबन तीन माह पहले सरकार की तरफ से बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने एलान किया था कि वर्ष 2030 के बाद से देश में सिर्फ बिजली चालित कारों की बिक्री होगी। शुरुआत में ही यह 10 लाख करोड़ रुपये का उद्योग होगा।

इसके लिए देश की कुछ बड़ी दिग्गज ऑटो कंपनियों के साथ बातचीत भी शुरू हो चुकी है। टाटा मोटर्स, महिंद्रा जैसी कंपनियों के साथ विमर्श हुआ है। इन कंपनियों ने भरोसा दिलाया है कि अगर उन्हें उचित वातावरण दिया जाए तो वह देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के बाजार को विकसित करने में पूरी मदद करेंगे। सरकारी सूत्रों का कहना है कि सिर्फ सरकारी वाहनों को ही बदलने का काम ही पांच वर्षो में दो लाख करोड़ रुपये का उद्योग बना देगा। सरकार की तरफ से इसके लिए राज्य सरकारों के साथ ही वाहन बनाने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन देने की तैयारी है।

दैनिक जागरण ने पहले ही पाठकों को यह बता चुका है कि विभिन्न सरकारी मंत्रालयों के सहयोग से इलेक्ट्रिक कारों को बढ़ावा देने को एक विस्तृत नीति तैयार की जा रही है। दरअसल, ईईएसएल की तरफ से पिछले हफ्ते ही 10,000 मिड साइज इलेक्टिक कारों की खरीद के लिए निविदा जारी की गई है। ये कारें दिल्ली में बिजली, कोयला, खनन व अक्षय ऊर्जा मंत्रालयों के तहत आने वाले तमाम उपक्रमों (एनटीपीसी, एनएचपीसी, पावर ग्रिड, कोल इंडिया वगैरह) में इस्तेमाल की जाएंगी। इस निविदा के बाद दूसरे चरण में जो कारें खरीदी जाएंगी, उन्हें दूसरे सरकारी मंत्रालयों व इनके उपक्रमों में इस्तेमाल में उपयोग किया जाएगा।

इन कारों को खरीदने के साथ ही सरकारी भवनों में इन्हें चार्ज करने की व्यवस्था भी की जाएगी। ईईएसएल उन्हीं कारों को खरीदेगी, जो एक बार चार्ज करने पर कम से कम 150 किलोमीटर तक चलें। यही वह कंपनी है जिसने देश में एलईडी को सस्ता करने की सरकारी योजना को लागू करने का काम किया है। आने वाले दिनों में यह सरकार की इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की नीति में अहम भूमिका निभाएगी।

वर्ष 2030 के बाद सिर्फ बिजली से चलने वाली कारों की होगी बिक्री

बिजली मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक अभी इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों को घटाना सबसे बड़ी चुनौती है। ईईएसएल का एलईडी बल्ब का अनुभव इसमें काम आएगा। बिजली से चलने वाली कारों की कीमत अभी काफी ज्यादा है। सरकार का आकलन है कि चार दरवाजे वाली एक इलेक्ट्रिक सेडान की कीमत अभी भारत में 15 लाख रुपये से करीब होगी। लेकिन अगर इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर हो और तेजी से मांग निकले तो यह कीमत तीन से पांच वर्षो में 50 फीसद तक घट सकती है। भारत में अभी सिर्फ महिंद्रा एंड महिंद्रा ही बिजली से चलने वाली कारें बनाती है। कंपनी ने वर्ष 2019 में बिजली से चलने वाली पहली सेडान कार उतारने की मंशा दिखाई है। इसके अलावा बजाज समूह की ऑटोमोबाइल कंपनी भी बिजली से चलने वाली कार बना रही है। स्टील बनाने वाली कंपनी जेएसडब्ल्यू ने भी इलेक्टिक वाहनों के बाजार में उतरने की घोषणा की है। कंपनी ने वर्ष 2020 तक पहली कार उतारने का एलान भी किया है। हुंडई मोटर की इलेक्ट्रिक कार भी दो से तीन वर्षो में भारतीय बाजार में पेश हो जाएगी। टाटा मोटर्स भी पूरे हालात पर पैनी नजर बनाए हुए है।