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Pawan Munjal कौन हैं? कैसे हीरो मोटोकॉर्प बनी मार्केट लीडर-जानिए पूरी कहानी

Pawan Munjal Chairman and CEO of Hero MotoCorp हीरो दोपहिया वाहनों का दुनिया में बड़ा मैन्‍युफैक्‍चरर्र है। कंपनी अब तक 100 मिलियन से अधिक दोपहिया बेच चुकी है। अरसे पहले जापान की होंडा की उनकी कंपनी के साथ साझेदारी हुआ करती थी।

By Ashish DeepEdited By: Updated: Wed, 23 Mar 2022 02:13 PM (IST)
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पवन मुंजाल के यहां आयकर सर्वे जारी है। (Pti)
नई दिल्‍ली, बिजनेस डेस्‍क। Income Tax विभाग ने हीरो मोटोकॉर्प के चेयरमैन और एमडी पवन मुंजाल (Hero Motorcorp Chairman and CEO Pawan Munjal) के घर और दफ्तर पर बुधवार को छापेमारी की। पवन मुंजाल के गुड़गांव स्थित घर और दफतर में सुबह से आयकर विभाग का सर्वे चल रहा है। IT विभाग के अधिकारी कंपनी के अन्य शीर्ष अधिकारियों के परिसरों में भी तलाशी ले रहे हैं।

बता दें कि हीरो मोटोकॉर्प का नेतृत्व पवन मुंजाल कर रहे हैं। कंपनी की एशिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और मध्य अमेरिका के 40 देशों में उपस्थिति है। हीरो मोटोकॉर्प के पास दुनियाभर में 8 मैन्‍युफैक्‍चरिंग प्‍लांट हैं। इनमें भारत में 6 और कोलंबिया और बांग्लादेश में 1-1 स्थि‍त है। दोपहिया वाहन निर्माता घरेलू मोटरसाइकिल बाजार में 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी के साथ अग्रणी ऑटो कंपनी है। कंपनी की Hero Splendor बाइक की हमेशा बड़ी डिमांड रहती है।

कौन हैं पवन मुंजाल (Who is Pawan Munjal)

पवन मुंजाल, हीरो ग्रुप के संस्थापक दिवंगत बृजमोहन लाल मुंजाल के बेटे हैं। बृजमोहन लाल मुंजाल का 2015 में 92 साल की उम्र में निधन हो गया था। पवन मुंजाल मोटरसाइकिल फ्लैगशिप हीरो मोटोकॉर्प (Hero Motocorp) के प्रवर्तक हैं। 

होंडा के साथ थी पहले साझेदारी

जापान की होंडा की पहले उनकी कंपनी के साथ साझेदारी थी। हीरो दुनिया में दोपहिया वाहनों का सबसे बड़ा मैन्‍युफैक्‍चरर्र है, जिसकी अब तक 100 मिलियन से अधिक यूनिट्स की बिक्री हो चुकी है।

हीरो की जयपुर में एक रिसर्च यूनिट

2011 में होंडा से अलग होने के बाद पवन मुंजाल ने कोलंबिया और बांग्लादेश में कारखानों के साथ वैश्विक विस्तार का नेतृत्व किया है। हीरो की जयपुर में एक रिसर्च यूनिट है, जिसमें 1,000 इंजीनियर काम करते हैं। इसके साथ-साथ जर्मनी में एक अन्य शोध केंद्र में भी इंजीनियर कार्यरत हैं। Covid Mahamari में लॉकडाउन के दौरान बिक्री में गिरावट आ गई थी। हालांकि बाद में ग्रामीण इलाकों में तेजी से दोपहिया वाहनों की बिक्री पूर्व-महामारी के स्तर के करीब लौट आई है।