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अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है तेल की ऊंची कीमतों का असर, इजराइल-हमास युद्ध के कारण सप्लाई चेन प्रभावित नहीं

तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को चेतावनी दी कि तेल की बढ़ती कीमतें वैश्विक आर्थिक सुधार को पटरी से उतार सकती हैं। हरदीप सिंह पुरी ने यह भी विश्वास जताया कि मौजूदा भूराजनीतिक संकट जल्द ही हल हो सकता है। भारत इजराइल और हमास के बीच सैन्य संघर्ष पर करीब से नजर रख रहा है। पढ़िए क्या है पूरी खबर।

By Jagran NewsEdited By: Gaurav KumarUpdated: Wed, 11 Oct 2023 06:58 PM (IST)
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तेल की ऊंची कीमतें वैश्विक अर्थव्यवस्था में पुनरोद्धार को प्रभावित कर सकती हैं।
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली: पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को चेतावनी देते हुए कहा है कि तेल की ऊंची कीमतें वैश्विक अर्थव्यवस्था में पुनरोद्धार को प्रभावित कर सकती हैं।

इजराइल-हमास युद्ध के कारण सप्लाई चेन प्रभावित नहीं

हरदीप सिंह पुरी ने मौजूदा भू-राजनीतिक संकट के जल्द समाधान का विश्वास भी जताया है। पुरी ने कहा कि भारत इजरायल-हमास सैन्य संघर्ष पर करीब से नजर बनाए हुए है और अभी तक इस संघर्ष के चलते सप्लाई चेन प्रभावित नहीं हुई है।

भारत तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता

पुरी ने यह भी कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता, तीसरा सबसे बड़ा एलपीजी उपभोक्ता, चौथा सबसे बड़ा एलएनजी आयातक, चौथा सबसे बड़ा रिफाइनर, चौथा सबसे बड़ा आटोमोबाइल बाजार है।

अगले दो दशकों में वैश्विक ऊर्जा मांग वृद्धि में भारत की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत होगी। केपीएमजी के इनोवेशन एंड एनर्जी कान्क्लेव के 14वें संस्करण ‘एनरिच-2023’ में बोलते हुए पुरी ने कहा कि अगर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

इजरायल और हमास के बीच संघर्ष शुरू होने के बाद सोमवार को तेल की कीमतों में तीन डॉलर प्रति बैरल से अधिक की बढ़ोतरी हुई थी। हालांकि सप्लाई चेन से जुड़ी चिंताएं कम होने के चलते बाद में कीमतें कम हो गईं।

उन्होंने मौजूदा संघर्ष पर कहा कि

मुझे लगता है कि वैश्विक बाजार सभी चीजों को ध्यान में रखेंगे। अगर सप्लाई चेन बाधित नहीं होती है तो उम्मीद है कि हम हर चीज से निपटने में सक्षम होंगे।

ब्रेंट क्रूड 87.18 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था।

चुनौतियों से जूझ रही ऊर्जा की दुनिया

पुरी ने कहा कि ऊर्जा की दुनिया कई मोर्चों (बढ़ती आबादी, घटते संसाधन, पर्यावरणीय चिंताओं, खाद्य और ऊर्जा की बढ़ती कीमतें) पर चुनौतियों से जूझ रही है। उन्होंने कहा कि वैश्विक ऊर्जा के क्षेत्र में एक संवेदनशील दृष्टिकोण की जरूरत है।

हमें कोई भी फैसला लेने से पहले ग्लोबल साउथ की जरूरतों को ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि भविष्य की आर्थिक वृद्धि के लिए ऊर्जा मांग में बढ़ोतरी जारी रहेगी।