History of Credit Card: कैसे चलन में आया क्रेडिट कार्ड, क्या है इसके पीछे की कहानी?
आज क्रेडिट कार्ड का चलन काफी बढ़ गया है। बहुत से लोगों के पास एक से ज्यादा क्रेडिट कार्ड हैं। यह असल में लाखों लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। इनमें खासकर नौकरीपेशा नौजवान हैं जो शॉपिंग से लेकर जरूरी बिल का भुगतान करने के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं। आइए जानते हैं कि क्रेडिट कार्ड की शुरुआत कब हुई और इसकी लोकप्रियता कैसे बढ़ी?
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। आज अगर आप कहते हैं कि क्रेडिट कार्ड काफी लोकप्रिय हो गया है, तो शायद आप इसकी अहमियत को कम करके आंक रहे हैं। यह असल में लाखों लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। इनमें खासकर नौकरीपेशा नौजवान हैं, जो शॉपिंग से लेकर जरूरी बिल का भुगतान करने के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं।
हममें से अधिकतर क्रेडिट कार्ड का रोजाना इस्तेमाल करते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि क्रेडिट कार्ड चलन में कब आया, इसकी शुरुआत कैसे हुई, भारत में इसका आगमन कब हुआ और भारत में कितने लोगों के पास क्रेडिट कार्ड है? आइए इन सभी सवालों का जवाब जानते हैं।
कब आया क्रेडिट कार्ड का कॉन्सेप्ट?
क्रेडिट कार्ड का मतलब होता है- पहले खर्च करना, बाद में भुगतान करना। वैसे यह परंपरा सदियों पुरानी है। जब से इंसानों में सामाजिकता का विकास हुआ, तभी से वह इस तरह का लेनदेन कर रहे हैं। लेकिन, क्रेडिट कार्ड की औपचारिक शुरुआत साल 20वीं सदी के मध्य तक मानी जाती है।
दुनिया का पहला क्रेडिट कार्ड डाइनर्स क्लब ने पेश किया था। (फोटो सोर्स- Quara)
लेकिन, इसकी नींव 1900 के शुरुआती सालों में पड़ गई थी। अमेरिका जैसे देशों में डिपार्टमेंटल स्टोर और तेल कंपनियां ने अपना क्रेडिट कार्ड लॉन्च किया। लेकिन, ये आज के ट्रेडिशनल क्रेडिट कार्ड जैसे नहीं थे। इनका इस्तेमाल आप कुछ खास ही स्टोर पर कर सकते थे।खास बात यह थी कि इनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी। बहुत से अमीर लोग ऐसे थे, जो पैसे लेकर चलने से परहेज करते थे। वे स्टोर और रेस्टोरेंट में इन कार्ड का इस्तेमाल करने लगे।
आधुनिक क्रेडिट कार्ड कैसे चलन में आया?
साल 1950 की बात है। अमेरिका के प्रतिष्ठित डायनर्स क्लब इंटरनेशनल के फाउंडर फ्रैंक मैकनामारा (Frank McNamara) खाना खाने न्यूयॉर्क के एक रेस्टोरेंट में पहुंचे। छककर खाने के बाद जेब में हाथ डाला, तो पता चला कि अपना बटुआ तो घर पर ही भूल आए हैं।यहीं उनके दिमाग में आइडिया आया कि एक ऐसा कार्ड भी होना चाहिए, जिसका इस्तेमाल सिर्फ डिपार्टमेंटल स्टोर ही नहीं, बल्कि बाकी जगहों पर भी खरीदारी और बिल चुकाने के लिए किया जा सके। इसी मंसूबे के साथ दुनिया का पहला आधिकारिक क्रेडिट कार्ड- डायनर्स क्लब कार्ड चलन में आया। इसे 1951 में लॉन्च किया गया। पहले तो यह मुख्य रूप से यात्रा और मनोरंजन से जुड़े खर्चों पर फोकस करता था। लेकिन, यह इतना सफल हुआ कि इसने क्रेडिट कार्ड क्रांति के लिए रास्ता खोल दिया।भारत में कब चला क्रेडिट कार्ड?
पश्चिमी देशों में झंडे गाड़ने के बाद क्रेडिट कार्ड 1980 के दशक में भारत आया। हालांकि, भारत में भी पहले खर्च करने और बाद में उसे चुकाने की व्यवस्था अनौपचारिक रूप से सदियों से प्रचलित थी। लेकिन, इसमें क्रेडिट कार्ड के साथ और भी तेज उछाल आया।स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने 1988 में अपना क्रेडिट कार्ड पेश किया। इससे देश के फाइनेंशियल इतिहास में एक नए युग की शुरुआत हुई। यहां से दूसरे बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस ने भी क्रेडिट कार्ड मॉडल को अपनाया। इसने देश के पेमेंट और शॉपिंग के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव किया।भारत में कितने लोगों के पास क्रेडिट कार्ड?
रिजर्व बैंक (RBI) के डेटा के मुताबिक, भारत में साल 2023 के आखिर तक 9 करोड़ से अधिक एक्टिव क्रेडिट कार्ड थे। 2022 में यह संख्या 8 करोड़ से कम थी यानी इस साल के दौरान क्रेडिट कार्डधारकों की तादाद में 17 फीसदी का उछाल आया। वहीं जनवरी 2020 की बात करें, तो सिर्फ 5.6 करोड़ लोगों के पास क्रेडिट कार्ड थे। इसका मतलब कि करीब करीब तीन साल में क्रेडिट कार्ड की संख्या में 63 फीसदी का उछाल आया है। अमेरिका जैसे विकसित मुल्क की बात करें, तो वहां करीब 82 फीसदी लोगों के पास कम से कम एक क्रेडिट कार्ड है। बहुत से लोग ऐसे हैं, जिनके पास कई कार्ड हैं। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अमेरिकियों के पास औसतन 3.84 क्रेडिट कार्ड हैं।कैसे बदला क्रेडिट कार्ड का इतिहास
- 1970 में मैग्नेटिक स्ट्रिप टेक्नोलॉजी आई। इससे क्रेडिट कार्ड की सिक्योरिटी बढ़ी और इलेक्ट्रिक अथॉराइजेशन का रास्ता साफ हुआ।
- 1990 के दशक में क्रेडिट कार्ड में माइक्रोचिप इस्तेमाल होने लगी। इससे जालसाजों के लिए क्लोन बनाना या डेटा से हेरफेर करना ज्यादा मुश्किल हो गया।
- 2000 के दशक में इंटरनेट और ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म का आगमन हुआ। इसने क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव किया।
- 2010 के दशक में कॉन्टैक्टलेस टेक्नोलॉजी आई। इससे कार्डहोल्डर्स को सिर्फ अपने कार्ड पर टैप करके तेज और सुरक्षित पेमेंट करने की सहूलियत मिली।
- पिछले कुछ साल में डिजिटल वॉलेट और मोबाइल पेमेंट के साथ क्रेडिट कार्ड के तालमेल ने तहलका ही मचा दिया। इससे क्रेडिट कार्ड यूज में और उछाल आया है।
- क्रेडिट कार्ड को UPI से जोड़ने पर इसका इस्तेमाल और बढ़ने का अनुमान है। फिलहाल, यह सुविधा सिर्फ रुपे क्रेडिट कार्ड तक ही सीमित है।