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Home Loan EMI: होम लोन पर नहीं पड़ेगा RBI के बढ़ते Repo Rate का साया, कर लें ये जुगाड़ और रहें टेंशन फ्री

EMI Repayment अगर आप चाहते हैं कि रेपो रेट के बढ़ने का असर अपने होम लोन पर न पड़े तो कुछ आसान से टिप्स को फॉलो किया जा सकता है। इससे EMI का भारी बोझ आपके जेब पर नहीं पड़ेगा। (फाइल फोटो)

By Sonali SinghEdited By: Sonali SinghUpdated: Sat, 11 Feb 2023 12:04 AM (IST)
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Home Loan EMI Burden: Easy Tips To Avoid IT
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Home Loan EMI: कुछ दिन पहले ही भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नई मौद्रिक नीति को पेश किया, जिसमें रेपो रेट (Repo Rate) की दरों को बढ़ा दिया गया है। इसमें कुल 25 बीपीएस की वृद्धि की गई है और अब यह 6.50 प्रतिशत हो गया है।

इसका सबसे ज्यादा असर होम लोन की EMI देने वाले लोगों पर पड़ता है। आसान भाषा में कहें तो रेपो रेट के बढ़ने से बैंक होम लोन पर लगने वाले ब्याज को बढ़ा देते है और फिर ग्राहकों को बढ़ी हुई ब्याज दर के साथ EMI का भुगतान करना पड़ता है।

ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताने जा रहे हैं, जिससे रेपो रेट के बढ़ने के बाद भी इसका असर आपके जेब पर नहीं पड़ेगा।

फ्लोटिंग ब्याज दर का करें चुनाव

होम लोन लेते समय अगर फ्लोटिंग ब्याज दर का चुनाव किया जाता है तो इससे रेपो रेट के बढ़ने का सबसे कम असर पड़ता है। फ्लोटिंग रेट में ब्याज की गणना इसके बेस रेट पर की जाती है ताकि जब बेस रेट में बदलाव हो तो फ्लोटिंग रेट भी बदल जाए। किस तरह बाजार स्थितियों के बदलने के साथ EMI की दरें भी बदल जाती है।

बढ़ा लें EMI

अगर रेपो रेट के प्रभाव को कम करना है तो इसका एक आसान करना है अपने  लोन के EMI रेट को बढ़ा दें। विशेषज्ञों का कहना है कि ईएमआई बढ़ाने के विकल्प को चुनने से ब्याज लागत कम हो जाती है। इसके अलावा, आप चाहें तो हर साल लोन बैलेंस का 5 प्रतिशत ज्यादा जमा करना शुरू कर दें। ऐसा करने से प्रिंसिपल अमाउंट की रकम कम हो जाती है और हर महीने कम बोझ पड़ता है। 

जितनी जल्दी हो सकें लोन का करें भुगतान

अगर बढ़ते रेपो रेट से होने वाले नुकसान से बचना है तो जितनी जल्दी हो सके, अपने लोन का भुगतान कर दें। इससे ब्याज दर का असर तो कम होता ही है, साथ ही EMI को भी कम किया जा सकता है। इसके अलावा कोशिश करें की जितना हो सके डाउन पेमेंट करें। इससे EMI का बोझ भी कम हो जाता है।

ओवरड्राफ्ट विकल्प का कर सकते हैं चुनाव

अगर आप अपने होम लोन की EMI को कम करना चाहते हैं तो इसके लिए ओवरड्राफ्ट विकल्प के बारे में सोचा जा सकता है। ओवरड्राफ्ट विकल्प के तहत, होम लोन उधारकर्ता के लिए बची हुई राशि जमा करने के लिए एक बचत या चालू खाता खोला जाता है और इसे होम लोन खाते से जोड़ा जाता है।

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