जीएसटी लागू होने से सबसे अधिक फायदा घरेलू वस्तुओं को, खाने-पीने की चीजों से लेकर इलेक्ट्रानिक्स उत्पाद हुए सस्ते
जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने के तहत काउंसिल जीएसटी के स्लैब को कम करने पर विचार कर सकती है और हो सकता है कई वस्तुओं को जीएसटी के बाहर कर दिया जाए। जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक से जीएसटी की जारी दरों को तर्कसंगत बनाने की कवायद भी शुरू हो जाएगी। जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए कमेटी बना दी गई है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वर्ष 2017 के जुलाई में जीएसटी प्रणाली के लागू होने के बाद घरेलू इस्तेमाल की वस्तुओं को सबसे अधिक फायदा हुआ है। जीएसटी प्रणाली के लागू होने से पहले विभिन्न प्रकार के टैक्स इन वस्तुओं पर लगाए जाते थे। लेकिन जुलाई 2017 के बाद कई वस्तुओं पर टैक्स लगना बंद हो गया तो कई की टैक्स दरों में कमी आ गई।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के आंकड़ों के मुताबिक जीएसटी प्रणाली लागू होने के बाद आटा, सेनेटरी नैपकिन, शहद, दही, छाछ जैसी वस्तुओं पर टैक्स शून्य हो गया तो टीवी, मोबाइल फोन, फर्नीचर, आयुर्वेदिक दवा, फ्रिज, वाशिंग मशीन, घड़ी, पेंसिल-शार्पनर जैसी वस्तुओं पर लगने वाले टैक्स की दरों में कमी आई।
आगामी बैठक से जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने की कवायद
दूसरी तरफ, जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक से जीएसटी की जारी दरों को तर्कसंगत बनाने की कवायद भी शुरू हो जाएगी। गत शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस साल अगस्त के मध्य में जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक आयोजित की जाएगी और उस बैठक से जीएसटी की दरों को तर्कसंगत बनाने की काम शुरू हो जाएगा। फिलहाल काउंसिल ने जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में कमेटी बना दी है। इससे पहले कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. बोम्मई की अध्यक्षता में जीएसटी दरों के साथ इंवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को तर्कसंगत बनाने के लिए कमेटी बनाई गई थी।जीएसटी स्लैब को कम करने पर हो सकता है विचार
जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने के तहत काउंसिल जीएसटी के स्लैब को कम करने पर विचार कर सकती है और हो सकता है कई वस्तुओं को जीएसटी के बाहर कर दिया जाए। इंवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के तहत टेक्सटाइल से जुड़े यार्न, फैबरिक व गारमेंट जैसे आइटम पर लगने वाले अलग-अलग जीएसटी को एक किया जा सकता है। कई अन्य आइटम के कच्चे माल पर जीएसटी अलग है तो तैयार माल पर अलग।
लंबित मुद्दों पर भी होगी चर्चा
पिछले एक साल से राज्यों में चुनाव व फिर से लोकसभा चुनाव की वजह से इन मुद्दों पर फैसला नहीं हो सका। वित्त मंत्री ने गत शनिवार को यह भी कहा कि जीएसटी काउंसिल के समक्ष कई ऐसे मुद्दे हैं जो पूर्व की बैठक के एजेंडा में शामिल थे, लेकिन उन पर विचार नहीं हो सका। इन सभी लंबित मुद्दों पर आगामी जीएसटी की बैठकों में फैसला हो सकता है।जीएसटी से पहले घरेलू वस्तुओं पर टैक्स की दर | जीएसटी के बाद | |
आटा | 3.5 % | शून्य |
सेनेटरी नेपकिन | 12 % | शून्य |
आयुर्वेदिक दवा | 12 % | 5 % |
डिटरजेंट | 28% | 18% |
टीवी | 28% | 18% |
फर्नीचर | 31.3% | 18% |
मोबाइल फोन | 31.3% | 18% |
फ्रिज | 31.3% | 18% |
वाशिंग मशीन | 31.3% | 18% |
साबुन, तेल व टूथपेस्ट | 27% | 18% |
दही व छाछ | 4% | शून्य |
रसोई के सामान | 28% | 12% |
घड़ी | 28% | 18% |